Home Breaking News ‘मैं गुजराती हूं लेकिन मुझे हिंदी से बहुत प्यार है’, अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में बोले अमित शाह
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‘मैं गुजराती हूं लेकिन मुझे हिंदी से बहुत प्यार है’, अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में बोले अमित शाह

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वाराणसी। जिले में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय द्वारा अखिल भारतीय राजभाषा सम्‍मेलन का आयोजन दीन दयाल हस्तकला संकुल, वाराणसी में किया जा रहा है। प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेते हुए और गृह एवं सहकारिता मंत्री के प्रभावी नेतृत्व में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन वाराणसी में कर रहा है। इसमें गृह एवं सहकारिता मंत्री के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्‍यनाथ, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, निशिथ प्रमाणिक और सांसदगण, सचिव राजभाषा, संयुक्त सचिव राजभाषा सहित पूरे देश के अलग-अलग राज्यों से आये विद्वानगण उपस्थित रहे। इस दौरान कई समानांतर सत्रों में हिंदी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ाने के विषय में विचार और मंथन भी हो रहा है।

काशी भाषाओं का गोमुख : केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री आमित शाह ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत पहली बार राजधानी से बाहर हा खहा है। यह नई शुरुआत है। अजादी का अममृत मोहात्सव महत्वपूर्ण है। यह भाविष्य के भारत के लिए संकल्प का समय है। यह संकल्प होना चाहिए कि हिंदी का वैश्विक स्‍वरूप हाे। मैं गुजारती भाषा से थोड़ा ज्यादा प्यार करता हूं। स्थानीय भाषा और हिंदी पूरक है। राजभाषा विभाग की जिम्मेदारी है कि वह स्थानीय भाषा का भी विकास करे। काशी हमेशा विद्या की राजधानी है। काशी सांस्कृतिक नगरी है। देश के इतिहास को काशी से अलग कर नहीं देख सकते। काशी भाषाओं का गोमुख है। हिंदी का जन्म काशी से हुई है। 1868 में काशी से ही शिक्षा हिंदी में हुई। हिंदी के उन्नयन के लिए काशी से शुरुआत हुई। पहली पात्रिका काशी से ही शुरू हुई। मालवीय जी ने हिंदी से पढ़ाई की चिंता की। तुलसी दास को कैसे भूला जा सकता है। राम चरित मानस नहीं लिखा होता तो आज रामायण लोग भूल जाते। अनेक हिंदी के विद्वानों ने यहीं से भाषा को आगे बढ़ाया। हिंदी भाषा में विवाद खड़ा किया गया। एक समय ऐसा आएगा कि लोग हिंदी नहीं बोल सकेंगे तो लघुता महसूस होगी। जो देश अपनी भाषा को खो देता है तो वह संस्कृति को खो देता है। हिंदी अक्षर शब्द का प्रयोग है अर्थात जिसका कभी क्षरण नहीं हो सकता। जनता मन बना लें तो जो महर्षि देकर गए हैं वह जीवित होगा। अभिभावकों से अनुरोध है कि वे अपनी भाषा में बोलें। भाषा जितनी समृद्धि होगी संस्कृति उतनी ही गजबूत होगी। युवाओं से अपील कर रहा हूं कि वे हिंदी में बोलने में गर्व महसूस करें।

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि आजादी के बाद पहला सम्मेलन यहां हो रहा है। ईश्वर से आभिव्यक्ति का माध्यम भाषा हमारी मातृ भाषा होती है। हिंदी का पहला सम्‍मेलन राजधानी के बाहर होने में 75 वर्ष हो गए। तुलसी दास ने रामचरित मानस को रचा जो शिव की प्रेरणा से अवधी भाषा में लिखा गया। आज हर घर में रामचरित मानस रखा मिलेगा। मारीशस के गांव में गए तो देखा कि उनके घरों में रामचरित मानस मौजूद है। वे आज भी उसकी पूजा करते हैं। वे पढ़ नहीं सकते लेकिन श्रवण कर उन्हें आज भी याद है। हिंदी का बड़ा काल खंड काशी से जुड़ा है। आजादी की लड़ाई भी महात्मा गांधी ने हिंदी में ही लड़ा। पूरे देश को जोड़ने वाली हिंदी का सम्मेलन होने सेआभारी हूं। हिंदी के लिए कई पुरस्कार दिया जाता है। सात वर्ष पूर्व आमजन के अंदर आत्म़ विश्वास़ की कमी थी। आज पर भारत को एक भारत श्रेष्ठ भारत बना है।

शनिवार से शुरू दो दिवसीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में शहर के दीनदयाल हस्तकला संकुल (व्यापार सुविधा केंद्र एवं शिल्प संग्रहालय) में सुबह 10:00 बजे मुख्य अतिथि गृह मंत्री अमित शाह ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। वहीं मध्याहन भोजन के बाद दीनदयाल हस्तकला संकुल (व्यापार सुविधा केंद्र एवं शिल्प संग्रहालय) के दो सभागारों में  तीन-तीन सत्र आयोजित किए जाएंगे जिसमें एक सभागार में पहला सत्र स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्र भारत में संपर्क भाषा एवं जनभाषा के रूप में हिंदी की भूमिका तथा दूसरा सत्र राजभाषा के रूप में हिंदी की विकास यात्रा और योगदान विषय पर आयोजित किया जाएगा।

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इन दोनों सत्रों के समानांतर सत्र दूसरे सभागार में होंगे जिनमें एक का विषय मीडिया में हिंदी प्रभाव एवं योगदान तथा दूसरे का विषय वैश्विक संदर्भ में हिंदी : चुनौतियां और संभावनाएं होगा। तीसरे सत्र में भाषा चिंतन की भारतीय परंपरा और संस्कृति के निर्माण में हिंदी की भूमिका विषय पर वक्तागण अपनी बात रखेंगे और इसी के समानांतर सत्र में न्यायपालिका में हिंदी-प्रयोग और संभावनाएं विषय पर चर्चा की जाएगी। 13 नवंबर 2021 को सायं 7:00 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा।

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