नई दिल्ली। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) राजस्व में होने वाली कमी को पूरा करने के लिये राज्यों की तरफ से केन्द्र सरकार खुद 1.1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज उठायेगी। वित्त मंत्रालय ने यह जानकारी दी। केन्द्र और कुछ राज्यों के बीच विवाद का विषय बने जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे को सुलझाने की दिशा में यह अहम कदम माना जा रहा है। कोविड-19 संकट के चलते अर्थव्यवस्था में नरमी से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह कम रहा है। इससे राज्यों का बजट गड़बड़ाया है। राज्यों ने वैट समेत अन्य स्थानीय कर एवं शुल्कों के एवज में जीएसटी को स्वीकार किया था। उन्होंने जुलाई 2017 में नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था इस शर्त पर स्वीकार की थी कि राजस्व संग्रह में अगले पांच साल तक किसी भी प्रकार की कमी होने पर उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी। इस कमी को पूरा करने के लिये बाजार से कर्ज लेने का विकल्प राज्यों को दिया गया था। लेकिन कुछ राज्य इससे सहमत नहीं थे।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि राज्यों को उनकी खर्च जरूरतों को पूरा करने के लिये उपलब्ध कराई गई मौजूदा कर्ज सीमा के अलावा 1.10 लाख करोड़ रुपये का ऋण लेने को लेकर विशेष व्यवस्था की पेशकश की गयी थी। वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘विशेष व्यवस्था के तहत जीएसटी राजस्व संग्रह में अनुमानित 1.10 लाख करोड़ रुपये (यह मानते हुये कि सभी राज्य इसमें शामिल होंगे) की राजस्व क्षतिपूर्ति के लिये भारत सरकार उपयुक्त किस्तों में कर्ज लेगी।’’
मंत्रालय ने कहा कि इस तरह जो कर्ज लिया जाएगा, उसे जीएसटी क्षतपूर्ति उपकर जारी करने के बदले में राज्यों को दिया जाता रहेगा। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत सरकार के कर्ज लेते समय बांड रिटर्न में एकरूपता और बांड नीलामी में अंतराल को सुनिश्चित किया जायेगा। अधिकारी ने कहा कि मूल राशि और ब्याज का भुगतान क्षतिपूर्ति राशि कोष से किया जायेगा। वहीं 1.10 लाख करोड़ रुपये की राशि को तीन से चार साल की अवधि के बॉंड जारी करके जुटाया जायेगा।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्यों के लिये केन्द्र द्वारा कर्ज लेने पर एक ही ब्याज दर को सुनिश्चित किया जा सकेगा और व्यवस्था में आसानी होगी। बयान में कहा गया है कि इस कर्ज से भारत सरकार के राजकोषीय घाटे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ‘‘राशि को राज्य सरकारों की पूंजी प्राप्ति के तौर पर दिखाया जायेगा और यह उनके राजकोषीय घाटों के वित्त पोषण के रूप में होगी।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘इस कदम से सरकारों (राज्य एवं केंद्र) के कर्ज में बढ़ोतरी नहीं होगी … जिन राज्यों को कर्ज की इस विशेष व्यवस्था से लाभ होगा, वे राज्य संभवत: राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 2 फीसद अतिरिक्त कर्ज की सुविधा के तहत कम कर्ज उठायेंगे।’’
आत्म निर्भर भारत पैकेज के तहत राज्यों की कर्ज लेने की सीमा उनके जीएसडीपी का 3 फीसद से बढ़ाकर 5 फीसद कर दी गई थी। इस प्रकार उन्हें जीएसडीपी का दो फीसद अतिरिक्त कर्ज लेने की सुविधा पहले ही उपलब्ध कराई गई है।