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विश्‍व बिरादरी में बढ़ेगा भारत का मान, जम्‍मू-कश्‍मीर में विदेशी राजनय‍िकों की यात्रा से बेनकाब होगा पाकिस्‍तान

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नई दिल्‍ली। विदेशी राजनयिकों का एक प्रति‍निधिमंडल जम्‍मू-कश्‍मीर के दौरे पर है। इस प्रति‍निधिमंडल में मुख्‍य तौर पर अफ्रीकन, मध्‍य पूर्व और यूरोपीय देशों के विदेश राजनयिक शामिल हैं। कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर में विदेशी राजनयिकों की यह पहली यात्रा है। 5 अगस्‍त, 2019 को संविधान के 370 अनुच्‍छेद निरस्‍त किए जाने के बाद विदेशी राजनयिकों की जम्‍मू-कश्‍मीर की यह चौथी यात्रा है। आर्टिकल 370 निरस्‍त किए जाने के बाद विदेशी राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल ने अक्‍टूबर 2019, जनवरी 2020 और फरवरी 2020 में राज्‍य का दौरा किया था। आखिर राजनयिकों की जम्‍मू-कश्‍मीर आने की बड़ी वजह क्‍या है। इसके क्‍या निहितार्थ हैं। क्‍या यह भारत के ह‍ित में है। ऐसे कई सवाल आपके मन में भी कौंध रहे होंगे। आइए जानते हैं इस पर क्‍या है विशेषज्ञों की राय।

आर्टिकल 370 का सामने आएगा सच

प्रो. बिपिन तिवारी (दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय) का मानना है क‍ि इस प्रक्रिया से भारत को दोहरा लाभ है। पहला – विदेशी राजनयिकों के जम्‍मू-कश्‍मीर की यात्रा से राज्‍य में अल्‍संख्‍यकों के हालात की असलियत सामने आएगी और पाकिस्‍तान एक बार फ‍िर बेनकाब होगा। विदेशी राजनयिकों का दल राज्‍य में कानून व्‍यवस्‍था को जायजा लेगा इसके अलावा यहां हो रहे विकास का भी मुल्‍यांकन करेगा। इससे राजनयिकों का दल जम्‍मू-कश्‍मीर में लोकतांत्रिक प्रणाली का सही से अनुमान लगा सकेगा। दरअसल, भारत सरकार द्वारा जम्‍मू-कश्‍मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्‍तान ने भारत को बदनाम करने की साज‍िश रची थी। आर्टिकल 370 के हटाए जाने के बाद पाकिस्‍तान पूरी तरह से बौखला गया। उसने भारत पर आरोप मढ़ा कि अनुच्‍छेद 370 के हटाए जाने के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर की आजादी खतरे में पड़ गई है। राज्‍य में अल्‍पसंख्‍यकों का दमन और शोषण किया जा रहा है। पाकिस्‍तान ने इस मुद्दे को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर जोरशोर से उठाया था। हालांकि, भारत ने उस वक्‍त यह साफ किया था कि अनुच्‍छेद-370 हटाए जाने से अल्‍संख्‍यकों के हितों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। भारत ने कहा था कि यह भारत का आंतरिक मामला है। इस पर किसी को भी हस्‍तक्षेप नहीं करना चाहिए।

भारत को दिखाने का मौका हम चीन और पाकिस्‍तान से हैं अलग

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प्रो. हर्ष पंत का मानना है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां की लोकतांत्रिक प्रणाली काफी सुदृढ़ है। अतंरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर एक बार फ‍िर भारत के पास मौका है कि वह दिखा सके कि उसके यहां संसदीय प्रणाली कितनी सफल और मजबूत है। ये राजनयिक भारत की लोकतांत्रिक मूल्‍यों के साथ यहां की धर्मनिरपेक्षता और कानून के शासन की असलियत भी देख सकेंगे, जिस पर भारत इतराता रहा है। भारत ने अपने इस कदम से साफ कर दिया है कि यहां शासन में कितना पारदर्शिता है। भारत ने यह दिखा दिया कि वह चीन की तरह एक बंद समाज या व्‍यवस्‍था वाला देश नहीं है। भारत की व्‍यवस्‍था पूरी तरह से पारदर्शी और खुली व्‍यवस्‍था है। यहां सबके साथ समान व्‍यवहार किया जाता है। हमारा संविधान समानता पर आधारित है और हमारी इस पर पूर्ण आस्‍था और विश्‍वास है।

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