चमोली जिले में आपदा प्रभावित क्षेत्र में ऋषिगंगा पर बनी झील का जल स्तर आधा फीट कम हो गया है। झील के पानी की निकासी अब चौड़ी जलधारा के रूप में होने से भी सरकार व जिला प्रशासन समेत राहत-बचाव में जुटी तमाम एजेंसियां राहत महसूस कर रही हैं। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्य सचिव ओम प्रकाश, झील का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों के दल से फीडबैक लिया। वैज्ञानिकों ने झील से अभी किसी भी तरह के खतरे से इन्कार किया है।
चमोली जिले में बीती सात फरवरी को ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी पर मलबे से बनी झील से सोमवार को जो जानकारी मिली, उससे केंद्र से लेकर राज्य सरकार और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में कार्य कर रही तमाम एजेंसियों के माथे की शिकन कुछ दूर हुई है। राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) क्विक डिप्लायेबल एंटीना (क्यडीए) की स्थापना कर चुका है। इससे झील पर नजर रखी जा रही है। झील के लाइव वीडियो मिलने से आपदा प्रबंधन से जुड़ा तंत्र भी राहत महसूस कर रहा है। वैज्ञानिकों के दल ने अभी अध्ययन रिपोर्ट नहीं दी, लेकिन झील का मुआयना करने के बाद जानकारी साझा की है।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बताया कि झील का जल स्तर कम हो रहा है। तकरीबन 300 मीटर लंबी और आठ से नौ मीटर गहरी झील में आधा फीट पानी कम होने को सकारात्मक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। झील से अब चौड़ी धारा से पानी की निकासी हो रही है। मुख्य सचिव ने कहा कि जल निकास के नए रास्ते तलाश करने के साथ ही मौजूदा निकासी के रास्ते को और चौड़ा करने को कहा गया है।
मंगलवार को ग्रामीणों के सहयोग से जल निकासी के मुहाने को और चौड़ा किया जाएगा। उधर केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने भी सोमवार को राज्य सरकार, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों और विभिन्न वैज्ञानिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों व झील के मुआयने को गए वैज्ञानिकों के दल से वस्तुस्थिति की जानकारी ली। डीआरडीओ ने उन्हें बताया कि झील से फिलहाल कोई खतरा नहीं है।