लखनऊ। कोरोना महामारी के चलते बदली परिस्थितियों में अभिभावकों को राहत देने के लिए सरकार ने फीस वृद्धि पर रोक लगाने का निर्णय किया है। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश में संचालित सभी बोर्डों से संबद्ध हर स्कूल पर यह आदेश लागू होगा।
विद्यालय बंद रहने पर परिवहन शुल्क नहीं देना होगा। साथ ही तीन महीने की अग्रिम फीस देने में दिक्कत होने पर अभिभावक मासिक फीस दे सकेंगे। जिन विद्यालयों ने शुल्क वृद्धि कर अभिभावकों से फीस वसूली है उसे आगामी महीनों में समायोजित करना होगा।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि विद्यालय शैक्षणिक सत्र 2021-22 में पिछले वर्ष की भांति उसी शुल्क संरचना के हिसाब से शुल्क ले सकेंगे जो वर्ष 2019-20 में लागू की गई थी। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को तीन महीने की अग्रिम फीस देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि विद्यालयों में भौतिक रूप से कक्षाओं का संचालन नहीं हो रहा है। केवल ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है। उन्होंने कहा कि फीस वृद्धि नहीं होने से अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक भार नहीं पड़ेगा साथ ही शिक्षकों और कर्मचारियों को नियमित वेतन का भुगतान होता रहेगा।
उन्होंने कहा कि विद्यालयों में भौतिक रूप से परीक्षा नहीं हो रही है इसलिए परीक्षा शुल्क भी नहीं लिया जा सकेगा। इसी प्रकार से जब तक क्रीड़ा, विज्ञान प्रयोगशाला, लाइब्रेरी, कम्प्यूटर, वार्षिक फंक्शन जैसी गतिविधियां नहीं हो रही हैं तक उनका शुल्क भी नहीं लिया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि यदि कोई विद्यार्थी या उनके परिवार का कोई सदस्य कोरोना से संक्रमित है और उन्हे फीस देने में परेशानी हो रही है तो उनके लिखित अनुरोध पर उस माह का शुल्क अग्रिम महीनों में मासिक किश्त के रूप में समायोजित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि विद्यालय प्रबंधन को विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक व शिक्षणेतर कर्मिकों का वेतन भुगतान नियमित रूप से करने के निर्देश दिए हैं।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि यदि किसी विद्यालय की ओर से सरकार के आदेश का उल्लंघन किया जाता है तो अभिभावक जिले में गठित शुल्क नियामक समिति के समक्ष शिकायत कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि जिला विद्यालय निरीक्षक को सरकार के आदेश का पइन नियमों का अनुपालन कराने की जिम्मेदारी दी गई है।