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मंदिर में चढ़ने वाले फूलों से बनती है खाद

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अंकुर अग्रवाल की रिपोर्ट 

ग़ाज़ियाबाद । वैसे तो आस्था का कोई रूप नहीं होता. कोई अपने घर में पूजा करता है तो कोई रोजाना मंदिर जाकर पूजा अर्चना करता है. ऐसे में पूजा करने के तरीके भी लोगों के अलग-अलग होते हैं लेकिन अगर बात की जाए श्रद्धा सुमन की यह फूल है जो मंदिर जाने वाले भक्त अपनी आस्था के रूप में अपने इष्टदेव को चढ़ाते हैं. दिन भर में ना जाने कितनी तादाद में मंदिरों में श्रद्धा सुमन के रूप में फूल चढ़ाए जाते हैं. अब तक फूल चढ़ाए जाने के बाद खराब ही हो जाया करते थे या इन्हें मिट्टी में दबा दिया जाता था लेकिन ग़ाज़ियाबाद के एक मंदिर मूर्तियों ओर चढ़ाए गए फूलो से प्रसाद तैयार होता है और खाद बनाता है.

गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित शिप्रा सनसिटी शिव मंदिर के पुजारी द्वारा पंडित विनय शर्मा शिव मंदिर में देवी देवताओं को अर्पित किए गए फूलों को अलग तरह से प्रयोग में लाते हैं. मूर्तियों पर चढ़ाए गए फूलों से बायो गैस प्लांट द्वारा खाद और गैस बनाई जाती है. फूलों से तैयार किए गए हाथ से मंदिर के बगीचे में लगे पौधों को सींचने में इस्तेमाल किया जाता है इतना ही नहीं इन फूलों से तैयार हुई गैस का प्रयोग मंदिर के किचन में होता है जिससे भक्तों के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है. आमतौर पर मंदिर में चढ़ने वाले फूल मालाओं को जमीन में दबा दिया जाता था या फिर नदी में बहा दिया जाता था.

मंदिर के पुजारी पंडित विनय शर्मा बताते हैं कि अक्सर मंदिर में चढ़े फूलों को इकट्ठा कर जमीन में दबाना पड़ता था या फिर उनको नदी में बहाना पड़ता था जिससे कि पर्यावरण को नुकसान होने का खतरा बना रहता था ऐसे में मंदिर समिति द्वारा करीब 2 वर्ष पहले बायोगैस प्लांट लगाया गया जिसमें करीब ढाई लाख रुपए का खर्च आया अब मंदिर में चढ़ाए गए फूलों को बायो प्लांट में डाल दिया जाता है जो कि 24 घंटे में खाद बन जाते हैं इस खाद का प्रयोग मंदिर के बगीचे में किया जाता है.l

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