लखीमपुर खीरी हिंसा के आरोपी अंकित दास को पुलिस शुक्रवार लाइसेंसी हथियार बरामद करने के लिए लखनऊ स्थित अपार्टमेंट में ले गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुलिस को तलाशी के दौरान अंकित के घर से एक पिस्टल और रिपीटर गन बरामद हुई है। पिस्टल का लाइसेंस अंकित दास के नाम पर बताया जा रहा है। जबकि रिपीटर गन का लाइसेंस उसके बॉडीगॉर्ड लतीफ के नाम पर होना बताया जा रहा है। आपको बता दें कि शुक्रवार को अंकित दास और उसके सुरक्षाकर्मी लतीफ को लेकर पुलिस शुक्रवार को लखनऊ ले गई थी। बताया जा रहा है कि वारदात में शामिल असलहा की बरामदगी को लेकर पुलिस की विशेष जांच कमेटी उन्हें लखनऊ ले गई थी।
आरोपी कारोबारी अंकित दास का लखनऊ के हुसैनगंज में क्ले स्क्वायर सोसायटी में अपार्टमेंट है। इससे पहले गुरुवार को लखीमपुर हिंसा के आरोपी अंकित दास, उसका निजी सुरक्षाकर्मी लतीफ उर्फ काले और ड्राइवर शेखर भारती को घटनास्थल पर ले गई थी। वहां मुख्य आरोपी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को भी लाया गया था। पुलिस ने मौका ए वारदात पर घटना का रीक्रिएशन किया और फिर आरोपियों से अलग अलग पूछताछ की। इसके बाद सभी आरोपियों को बनवीरपुर गांव ले जाया गया। जहां घटना वाले दिन दंगल हो रहा था। पुलिस के साथ फिंगरप्रिंट एक्स्पर्ट की टीम भी मौजूद रही।
एसआईटी ने जुटाए 39 वीडियो, सीसीटीवी फुटेज से भी ली मदद
लखीमपुर हिंसा मामले में पुलिस की विवेचना दिशा पकड़कर तेज हो चली है। पुलिस न सिर्फ गवाहों से केस मजबूत कर रही है, बल्कि इलेक्ट्रानिक सुबूतों पर भी काम कर रही है। सूत्रों की मानें तो पुलिस ने 39 वीडियो साक्ष्य एकत्र किए हैं। इनमें घटनास्थल के वीडियो से लेकर सीसीटीवी फुटेज भी शामिल है। पुलिस अभी भी इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों के संकलन में तेजी से लगी है। डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल की अगुवाई में बनी जांच कमेटी हर बिंदु पर जांच करने में जुटी है। एक-एक कड़ी जोड़ी जा रही है। मौके पर मिले साक्ष्यों को अलग-अलग सूचीबद्ध किया जा रहा है।
आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद तेज हुई जांच
इलेक्ट्रानिक साक्ष्य, गवाहों के बयान और फॉरेंसिक/बैलिस्टिक जांच रिपोर्ट का अलग-अलग मिलान किया जा रहा है। इन साक्ष्यों का मिलान आरोपियों के दर्ज बयानों से कराया जा रहा है। जांच कमेटी ने आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद साक्ष्य संकलन का काम तेज कर दिया था। वायरल वीडियो के अलावा भी जांच कमेटी ने लोगों से वीडियो साक्ष्य उपलब्ध कराने की अपील की। नंबर जारी किए गए और पहचान गुप्त रखने का वादा किया गया। इसका असर हुआ। इसके बाद पुलिस ने घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले। पेट्रोल पंप, राइस मिल के वीडियो फुटेज लिए। यही नहीं, केंद्रीय मंत्री के गांव तक की दुकानों में लगे सीसीटीवी फुटेज को एकत्र किया गया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि इन वीडियो साक्ष्य से बहुत कुछ सामने आने लगा था। इसके बाद पुलिस ने दंगल में कार्यक्रम स्थल की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग करने वाले से पूछताछ की। हालांकि अभी पुलिस इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कर रही है। इसके अलावा सीडीआर के जरिए भी पुलिस ने साक्ष्य संकलन के लिए काम किया। मोबाइलों की लोकेशन को भी एक मजबूत आधार बनाया। इसके बाद गवाही भी दर्ज की।