मुरादाबाद। तेंदुए का नाम सुनकर प्रत्येक व्यक्ति के जहन में दहशत हावी हो जाती है। परंतु शुक्रवार रात दहशत का दूसरा चेहरा कहा जाने वाला तेंदुआ संभवत मादा तेंदुआ के प्रेम में पिंजरे तक जा पहुंचा। क्योंकि जिस स्थान पर उसकी साथी मादा तेंदुआ की मौत हुई थी वह लगातार उसी स्थान पर आकर कुछ देर बैठता था। वन विभाग ने इसका फायदा उठाते हुए पिंजरा लगा कर उसे कैद कर लिया। पकड़े गए नर तेंदुए की यह गतिविधि भी लोगों के बीच चर्चा में रही।
दो सितंबर को गांव सुनपुरा में तेंदुए की मौत हो गई थी। वह मादा तेंदुआ थी। जब ग्रामीणों ने उसका शव देखा तो थोड़ी दूरी पर एक तेंदुआ और दिखाई दिया था। भीड़ को देखकर वह जंगल में भाग गया था। यह तो साफ हो गया था कि दोनों साथ ही थे तथा भागने वाला तेंदुआ नर था। चूंकि मामला तेंदुआ से जुड़ा था, लिहाजा लोगों में दहशत थी। साथी की मौत के बाद उसका उग्र होकर हमला करने की संभावना बढ़ गई थी। परंतु गनीमत यह रही कि नर तेंदुए ने क्षेत्र में किसी व्यक्ति पर हमला नहीं किया। बल्कि इस दौरान सुनपुरा के ग्रामीणों ने एक अनोखी बात देखी।
जिस स्थान पर मादा तेंदुआ की मौत हुई थी वहां पर नर तेंदुआ प्रतिदिन शाम व सुबह को आकर थोड़ी देर बैठता जरूर था। दहशत के नाम से पहचाने जाने वाले नर तेंदुए को शायद साथी मादा तेंदुआ के प्रति प्रेम दर्शाना ही उसकी कैद का कारण बन गया। ग्रामीणों की इसी सूचना पर वन विभाग ने वहां पिंजरा लगाकर उसे कैद कर लिया।डीएफओ देवमणि मिश्रा ने बताया कि जिस स्थान पर मादा तेंदुआ की मौत हुई थी वहां नर तेंदुआ के प्रतिदिन आकर बैठने की सूचना ग्रामीणों ने दी थी। लिहाजा वहां पिंजरा लगा दिया गया था। संभवत वह मृतक मादा साथी को तलाश करने वहां पहुंचता होगा।
अमरोहा के जंगल की कुछ रोचक बातें
-हस्तािनापुर सेंचुरी से आकर अमरोहा के जंगल में शरण लेते हैं तेंदुआ।
-साथी मादा की मौत के बाद भी नहीं हुआ था हिंसक।
-आठ दिन तक लगातार निगरानी करता रहा वन विभाग।
-खर्च मामूली, लेकिन नियमित निगरानी से विभाग को मिली सफलता।
-हमला करने पर ही अधिकांश जवाबी रूप में इंसान पर हमलावर होता है तेंदुआ।
-लगभग पांच साल उम्र है पकड़े गए तेंदुआ की।