अमरावती। के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष चंद्रबाबू नायडू ने वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी सरकार से एलुरु पर मंडरा रही ‘अनिश्चितता के डर’ को दूर करने की मांग की है। कई लोग रहस्यमय बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। नायडू ने मांग की है कि पश्चिम गोदावरी जिला मुख्यालय में बीमारी के कारणों को उजागर करने के लिए मुख्यमंत्री रेड्डी को अब तक हुए परीक्षणों के परिणामों का खुलासा करना चाहिए।
नायडू की ओर से एक बयान में कहा गया, “पीने के पानी में लेड और निकल जैसी भारी धातुओं की मौजूदगी को लेकर आशंकाएं उठ रही है। सरकार को तुरंत इन चिंताओं को दूर करना चाहिए और मोबाइल मिनरल वाटर प्लांट्स और इस तरह के उपायों के जरिए उचित पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि भारी धातुओं की उपस्थिति गर्भवती महिलाओं, बच्चों और वृद्ध लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती है।
उन्होंने कहा, “इसलिए, कस्बे के प्रत्येक निवासी को इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ कार्ड दिए जाने चाहिए। प्रत्येक रोगी की दीर्घकालिक आधार पर निगरानी की जानी चाहिए। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा विशेषज्ञों की मदद से सबसे अच्छी चिकित्सा देखभाल प्रदान की जानी चाहिए।”
नायडू ने मूल कारणों का पता लगाने के लिए एलुरु में फैली रहस्यमय बीमारी का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन कराने की मांग की।
तेदेपा सुप्रीमो ने कहा, “स्वच्छ पेयजल प्रत्येक नागरिक का अधिकार है और इसे मुहैया कराना सरकार का कर्तव्य है। उच्चतम न्यायालय ने पानी के अधिकार को मौलिक अधिकार माना था। संविधान का अनुच्छेद 21 भी यही सुनिश्चित करता है।”
उन्होंने दावा किया कि आंध्र सरकार दुर्भाग्य से संरक्षित पेयजल और उचित स्वच्छता सुनिश्चित करने में विफल रही है।
नायडू ने मांग की है कि एलुरु जैसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षित पेयजल आपूर्ति पर विशेष अभियान के साथ-साथ समय-समय पर पीने के पानी के नमूनों का परीक्षण किया जाना चाहिए।