आईसीएमआर ने देश में कोरोना वैक्सीन की मिक्सिंग पर हुई पहली स्टडी के नतीजे जारी किए हैं। स्टडी में साफतौर से कहा गया है कि कोवैक्सीन और कोवीशील्ड की मिक्स डोज से कोरोना वायरस से लड़ने के खिलाफ बेहतर सुरक्षा मिलती है। आईसीएमआर के मुताबिक, एडिनोवायरस वेक्टर प्लेटफॉर्म वैक्सीन और इनएक्टिवेटेड होल वायरस वैक्सीन का मिक्स डोज लेना पूरी तरह से सेफ है। इन दोनों वैक्सीन की अलग-अलग डोज से एक ही वैक्सीन के दो डोज की तुलना में बेहतर इम्युनिटी मिलती है। सबसे अच्छी बात है कि यह डेल्टा वेरिएंट पर भी असरदार है। गौरतलब है कि यह स्टडी उन पर की गई जिन्हें गलती से यूपी में अलग-अलग टीकों की दो खुराक दी गई थी। भारत में आधिकारिक तौर पर अभी एक ही वैक्सीन की दो अलग-अलग डोज दी जा रही है।
इसलिए पड़ी मिक्स एंड मैच की जरूरत
1. बेहतर इम्यून सिस्टम
दो डोज अलग-अलग वैक्सीन के होंगे तो यह ज्यादा समय तक एंटीबॉडी और इम्यून रिस्पॉन्स देंगे।
2. म्यूटेशंस और वेरिएंट्स
अलग-अलग टेक्नोलॉजी से बनी वैक्सीन कोरोना के वेरिएंट्स पर भी कारगर साबित हुई है।
3. सप्लाई का शॉर्टेज
सप्लाई सीमित है। पहला डोज जिस वैक्सीन का लगा है। जरूरी नहीं कि समय पर दूसरा डोज भी उसका ही मिले।
4. सिक्योरिटी कंसर्न
ब्लड क्लॉटिंग के चलते कई देशों में कोविशील्ड का इस्तेमाल रोका गया। ऐसे में मिक्सिंग जरूरी हो गई।
अन्य स्टडीज में भी यही नतीजे मिले
ऑक्सफोर्ड में हुई कॉम-कोव स्टडी में पता चला कि वैक्सीन मिक्सिंग से ज्यादा एंटीबॉडी बनी और इम्यून सिस्टम भी बेहतर हुआ। हां, बेशक कुछ लोगों को हल्के साइड इफेक्ट्स भी हुए, लेकिन डॉक्टर्स ने कहा कि ये शॉर्ट टर्म साइड इफेक्ट हैं जो मजबूत इम्यून सिस्टम की निशानी है।
वैक्सीन की कमी होगी दूर
देश में तीसरी लहर की संभावनाओं के बीच यह खबर बहुत ही राहत देने वाली है। मिक्स डोज से वैक्सीन की कमी दूर करने में बहुत ज्यादा मदद मिलेगी। वहीं इससे लोगों में अलग-अलग वैक्सीन के डोज से एडवर्स इफेक्ट्स का डर भी कम होगा।