बुलंदशहर से नीरज शर्मा की रिपोर्ट
– पितृ पक्ष के समापन पर शुरू होते थे नवरात्र, १६५ साल बाद बन रहा संयोग
– अधिमास लगने से एक माह का आया इस बार नवरात्र शुरू होने में अंतर
बुलंदशहर। इस साल पितृपक्ष के एक माह बाद शारदीय नवरात्र शुरू होंगे। प्रतिवर्ष पितृ पक्ष के समापन यानी अमावस्या के अगले दिन से ही शारदीय नवरात्र आरंभ हो जाते थे। लेकिन, इस बार ऐसा नहीं होगा। इस बार पितृपक्ष समाप्त होते ही एक महीने का अधिमास लग जाएगा। उसके समाप्त होने पर १७ अक्तूबर से शारदीय नवरात्र शुरू होंगे। ऐसा संयोग १६५ साल बाद बन रहा हैं।
पंचांग के अनुसार इस बार पितृपक्ष एक सितंबर से शुरू होकर १७ सितंबर तक चलेंगे। पितृपक्ष में पितरों का तर्पण किया जाता हैं। पितृपक्ष में लोग अपने पितरों के तर्पण के लिए पिंडदान, हवन और अन्न दान करते हैं, जिससे पूरे परिवार पर पितरों का आर्शीवार्द बना रहे। सरभन्ना निवासी आचार्य शिवदत्त शास्त्री ने बताया कि इस बार अधिमास लगने से नवरात्र और पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर रहेगा। अश्विन मास में मलमास लगना और एक महीने के अंतर पर दुर्गा पूजा का आरंभ होने का ऐसा संयोग करीब १६५ साल बाद आ रहा हैं। जो लीप वर्ष होने के कारण ऐसा हो रहा हैं। साथ ही इस बार बरसात का एक माह भी बढ़ा हैं।
क्या होता है अधिमास
ईलना निवासी पंडित गिरिश चंद्र शर्मा ने बताया कि एक सूर्य वर्ष ३६५ दिन और छह घंटे का होता है, जबकि एक चंद्र वर्ष ३५४ दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग ११ दिनों का अंतर होता है। यह अंतर हर तीन वर्ष में लगभग एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है, जिसे अधिमास का नाम दिया गया हैं। इस माह में शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। इसे मलिन मास भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि मलिन मास के कारण कोई भी देवता इस माह में अपनी पूजा नहीं करवाना चाहते थे और कोई भी इस माह में देवता नहीं बनना चाहते थे, तब मलमास ने स्वयं श्रीहरि से उन्हें स्वीकार करने का निवेदन किया। तभी से इस महीने में भागवत कथा सुनने और प्रवचन सुनने का विशेष महत्व माना गया हैं। साथ ही दान पुण्य करने से मोक्ष के द्वार भी खुलते हैं।