नोएडा। सुप्रीम कोर्ट में टि्वन टावर तोड़ने के मामले में सोमवार को अहम सुनवाई होगी। इससे पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने फ्लैट खरीददारों को रकम वापस नहीं किए जाने पर सख्त नाराजगी जताई और कहा कि 17 जनवरी तक पैसे वापस किए जाए। कुछ फ्लैट बायर्स ने कंटेप्ट पिटिशन दाखिल की है और कहा है कि सुपरटेक ने उन्हे अपने पैसे वापस लेने के लिए बुलाया था लेकिन जब संपर्क किया गया तो कंपनी ने कहा कि पैसा किस्तों में वापस किया जाएगा और कुछ पैसे काटे जाएंगे।
वहीं, सुपरटेक एमराल्ड के दोनों टावरों को ध्वस्त करने के लिए सुपरटेक ने यूएसए बेस्ड एडफिस इंजीनियरिंग कंपनी को काम अवार्ड किया है। इस कंपनी का भारतीय कार्यालय मुंबई में है। इस पर प्राधिकरण ने सहमति दे दी है। टावर गिराने का कार्य एडफिस इंजीनियरिंग द्वारा सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआइ) व नोएडा प्राधिकरण की देखरेख में किया जाएगा। इसके लिए कंपनी ने यातायात विभाग, एक्सप्लोसिव को स्टोर करने और उसे प्रयोग करने की अनुमति, प्रदूषण विभाग से एनओसी लेने की कवायद शुरू कर दी है। साथ ही कंपनी को यातायात डायवर्जन का प्लान भी देना होगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में 17 जनवरी तक कंपनी अवार्ड कर जवाब देने के लिए कहा था।
जोहानिसबर्ग में ध्वस्त कर चुकी है 108 मीटर ऊंची इमारत
कंपनी दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में 108 मीटर ऊंची इमारत को ध्वस्त कर चुकी है। इस इमारत की दूसरी इमारत से दूरी आठ मीटर थी। जोकि काफी पेचीदा काम था। यहां भी यही स्थिति है। सियान और एपेक्स दोनों टावरों की ऊंचाई 100 मीटर है और अन्य टावर से दूरी नौ मीटर है। अधिकारियों ने बताया कि दोनों की संरचनात्मक स्टडी एक जैसी है। इसके अलावा कंपनी कोच्चि में भी इमारत को ध्वस्त कर चुकी है।
30 नवंबर तक ध्वस्त किए जाने थे दोनों टावर
सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को दोनों टावरों को ध्वस्त करने के लिए 30 नवंबर तक का समय दिया था। टावर तय समय में ध्वस्त नहीं किए जा सके। प्राधिकरण व सुपरटेक दोनों ही इस मामले में अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में जमा कर चुके हैं।
टावर ध्वस्तीकरण के लिए देना था जवाब तय समय में टावर ध्वस्त न किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण को 17 जनवरी तक अपना जवाब देने के लिए कहा था। इसी के चलते सुपरटेक ने रविवार को कंपनी को कार्य अवार्ड कर दिया।