नई दिल्ली ।कांग्रेस में युवा बनाम वरिष्ठ, बुजुर्ग नेताओं को लेकर मचे घमासान से पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी काफी परेशान हैं। हालांकि, सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी पार्टी के भीतर के कलह के बारे में मीडिया में आई खबरों से नाराज हैं, इसलिए दोनों ब्रिगेड को केवल पार्टी मंच पर अपने विचार रखने के लिए कहा गया है।
पार्टी ने नेताओं को स्पष्ट रूप से कहा है कि 2004 से 2014 तक यूपीए के 10 साल के शासन पर सवाल उठाना ‘अस्वीकार्य’ है। मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में एक दशक लंबा यूपीए शासन देश में रहा।
अंदरूनी कलह इस हद तक सामने आ गया कि सूत्रों का कहना है कि रणदीप सिंह सुरजेवाला को मीडिया को ब्रीफ करने के लिए राजस्थान से बुलाना पड़ा। उन्होंने दोनों गुटों को सोशल मीडिया पर बयानबाजी करने से बचने की भी चेतावनी दी और कहा कि कोई भी नेता ट्विटर-ट्विटर खलेना बंद करें।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुरजेवाला ने रविवार को एक सवाल का जवाब देते हुए चेतावनी दी कि, “जो ट्विटर-ट्विटर खेल रहे हैं, मैं उन्हें सोशल मीडिया पर बयानबाजी बंद करने की सलाह देता हूं। हमारे पास आंतरिक लोकतंत्र है और हम किसी को भी रिटायर होने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं। इसलिए अपने विचार पार्टी के उपयुक्त फोरम में रखें।”
भाजपा के साथ तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि कोई ‘मार्गदर्शक मंडल’ नहीं है और पार्टी को मिलकर भाजपा का मुकाबला करना चाहिए।
सुरजेवाला ने कहा कि वरिष्ठ, बुजुर्ग नेताओं को युवाओं का मार्गदर्शन करना चाहिए और उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए।
गोर तलब है की कांग्रेस के भीतर का अंदरूनी मतभेद शुक्रवार से खुलकर सामने आ गया है, क्योंकि कुछ पूर्व केंद्रीय मंत्रियों ने टीम राहुल के सदस्यों के खिलाफ ट्विटर पर हमले शुरू कर दिए हैं।
पार्टी नेता मनीष तिवारी ने शुक्रवार को हमले की शुरुआत की और यह शनिवार को भी जारी रहा, लेकिन रविवार को उन्होंने अपना निशाना भाजपा की तरफा मोड़ दिया।
तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अधीन संप्रग सरकार के 10 सालों के बचाव में तिवारी के खुलकर आने के बाद उन्हें संप्रग के साथी मंत्रियों आनंद शर्मा, शशि थरूर और मिलिंद देवड़ा का समर्थन प्राप्त हुआ, जिन्होंने जानकारी विहीन राहुल गांधी की टीम पर हमले किए और उनसे 2019 की चुनावी हार पर आत्मचिंतन करने को कहा।
पार्टी के भीतर तकरार युवा नेताओं द्वारा वरिष्ठों पर सवाल उठाने और 2014 व 2019 की लगातार चुनावी हार पर आत्मचिंतन करने को कहने के बाद शुरू हुआ। युवा नेताओं ने लगातार दो चुनावों में हार के लिए संप्रग शासन को जिम्मेदार ठहराया।
इस हमले में निशाने पर रहे नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य राजीव साटव, जो गुजरात कांग्रेस के प्रभारी हैं और युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष हैं। उन्हें राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। साटव ने पार्टी के सफाये पर सवाल उठाया और इसके लिए संप्रग शासन को जिम्मेदार ठहराया।
लेकिन साटव ने पलटवार किया और इसे दुर्भावनापूर्ण बताया और मनमोहन सिंह का नाम घसीटने के लिए वरिष्ठ नेताओं की निंदा की। मनिकम टैगोर और सुष्मिता देव ने उनका साथ दिया।
साटव ने ट्वीट किया, “डॉ. सिंह ने आधुनिक भारत को बनाने में प्रशंसनीय योगदान दिया है। उनका हमेशा उच्च सम्मान रहेगा। मैं अपनी टिप्पणियों या किसी अन्य प्रतिष्ठित साथी की टिप्पणियों पर सिर्फ पार्टी के आंतरिक मंच पर चर्चा करूंगा।”
मनिकम टैगोर ने उनका समर्थन किया और ट्वीट किया, “बिल्कुल राजीव साटव से सहमत हूं। पार्टी के भीतर पार्टी की चर्चा करना उचित है। यह समय मोदी/शाह और आरएसएस से लड़ने और पराजित करने के लिए हमारे प्रयासों को एकजुट करने का है।”