नीरज शर्मा की रिपोर्ट
बुलंदशहर कांग्रेस शहर कमेटी के पुर्व अध्यक्ष सैय्यद मुनीर अकबर ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बैनर्जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा की उनका जन्म 29 दिसंबर 1944 को कोलकाता के एक उच्च मध्यम वर्ग के कुलीन ब्राह्मण परिवार में हुआ था, उनके पूर्वज हुगली जिले के बंगदा नामक गांव से थे, उनके पिता कोलकाता उच्च न्यायालय में न्याय वादी थे, 1859 में उनका विवाह ही हेमांगिनी मोतीलाल के साथ हुआ, उन्हें 1962 डब्ल्यू.पी. अटोर्नीज़ आफ कोलकाता सुप्रीम कोर्ट में लिपिक की नौकरी आरंभ की इस समय उन्होंने कानूनी जानकारी प्राप्त की जो उनके आगे के जीवन में काफी सहायक रही। 1964 में उन्हें छात्रवृत्ति के साथ इंग्लैंड भेजा गया, व्योमेश अंग्रेजी चाल ढाल के इतने कट्टर अनुयाई थे, उन्होंने स्वयं अपने परिवारिक नाम बनर्जी का अंग्रेजीकरण करके उसे बोनर्जी कर दिया, उन्होंने अपने पुत्र का नाम भी शैली रखा जो कि अंग्रेजों से अधिक प्रचलित था भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1885 में हुए प्रथम अधिवेशन में वह कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए उसके बाद उन्हें दोबारा भी इलाहाबाद में 1892 में कांग्रेस अधिवेशन का अध्यक्ष चुना गया।साल 1902 में इंग्लैंड चले गए और वही जाकर बस गए वह 1906 मे अपनी मृत्यु के अंतिम समय भी भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को बढ़ावा देते रहे।