लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लम्बे समय तक अपनी सेवा देने वाले पूर्व आइएएस व आइपीएस अफसर भी कृषि कानून का विरोध कर रहे किसानों को इसका लाभ बताने के लिए मैदान में उतरें हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव रहे अतुल गुप्ता के साथ ही पूर्व पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह ने किसानों के साथ कृषि कानून का लाभ साझा करने के साथ ही उनसे किसान आंदोलन को समाप्त करने की अपील भी की है।
सरकार ने बड़े पदों पर रहे अफसरों ने साथ कहा है कि किसान कृषि कानून को लेकर किसी के भ्रम में न आएं। नए कृषि कानून से किसानों को बड़े लाभ होंगे। सरकार मंडियां को ई नाम से जोड़ कर किसानों की आमदनी बढ़ा रही है। इसके साथ ही इन अफसरों ने कहा है कि किसानों के इस आंदोलन से किसानों के साथ ही आम लोगों को परेशानी हो रही है। पूर्व अधिकारियों ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की है।
किसानों को किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए: प्रदेश के पूर्व नौकरशाहों ने किसानों को कृषि सुधार कानूनों के फायदे गिनाते हुए किसानों से तत्काल इस आंदोलनन खत्म करने की अपील की है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव अतुल गुप्ता ने कहा कि किसानों को किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए। उन्हें कृषि कानूनों के लाभ के बारे में खुद जानना चाहिए। अतुल गुप्ता ने कहा कि केंद्र के साथ राज्य सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने का काम किया है। सरकार ने बजट में कृषि के सुदृढ़ीकरण के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि के लिए कई अहम प्रावधान किये गये हैं।
उन्होंने कहा कि मंडियां खत्म नहीं की जा रही हैं बल्कि किसानों की सुविधा के लिए मंडियों को ई-नाम के साथ जोड़ा जा रहा है, जिससे उनकी उपज का डेढ़ गुना दाम मिलने की गारण्टी होगी। कृषि कानून में सहूलियत दी गई है कि किसान से एग्रीमेंट करने वाला, एग्रीमेंट समाप्त नहीं कर सकता, जबकि किसान एग्रीमेंट खत्म कर सकता है। किसान की उपज से एग्रीमेंट करने वाले को अधिक लाभ होने पर उसे किसान को बोनस भी देना होगा।
कांट्रैक्ट फार्मिंग कोई नई चीज नहीं : पूर्व आईएएस अफसर सुदेश ओझा व अन्य अफसरों ने किसानों से अपील कि कांट्रैक्ट फार्मिंग कोई नई चीज नहीं है। प्रदेश के कई हिस्सों में पहले से हो रही है। इसमें किसान अपनी मर्जी से सिर्फ फसल का कांट्रैक्ट करता है। न कि जमीन का। कांट्रैक्ट खेती से किसानों की जमीन जाने का भ्रम फैलाया जा रहा है।
गन्ना किसानों को एक लाख 15 हजार करोड़ रुपये का रिकॉर्ड गन्ना मूल्य भुगतान: पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा कि केंद्र तथा प्रदेश सरकार ने किसानों के हितों में अनेक फैसले लिए हैं। जिसके कारण किसान विकास की मुख्यधारा से जुड़ा है। गन्ना किसानों को एक लाख 15 हजार करोड़ रुपये का रिकॉर्ड गन्ना मूल्य भुगतान किया तथा बंद चीनी मिलों को पुन: संचालित कर उनकी क्षमता का विस्तार भी किया है।
उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों से न तो मंडिया बंद होगी और न ही एमएसपी समाप्त होगी। इससे किसानों की फसल का मुनाफा बढ़ेगा। पूर्व डीजीपी ने कहा कि आंदोलन से आम लोग रोज परेशान हो रहे हैं।
किसान जिसे चाहे, जहां चाहे अपनी उपज बेच सकता है: भारतीय किसान मंच के देवेंद्र तिवारी ने कहा कि नए कृषि कानूनों से किसान जिसे चाहे, जहां चाहे अपनी उपज बेच सकता है। किसान अब अपनी उपज एमएसपी पर मंडी में, व्यापारी को, दूसरे राज्य में, एफपीओ के माध्यम से, जहां उचित मूल्य मिले बेच सकता है। तिवारी ने कहा कि नए कृषि सुधारों के बारे में असंख्य भ्रम फैलाये जा रहे हैं। सरकार ने एमएसपी में वृद्धि की है। नए कृषि सुधारों में सुनिश्चित किया गया है कि खरीददार कानूनन समय से भुगतान के लिए बाध्य है। इसमें व्यवस्था है कि खरीददार को फसल क्रय के बाद रसीद देनी होगी। इसके साथ ही तीन दिन में मूल्य का भुगतान भी करना होगा।