किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन ने 70 के दशक के उत्तरार्द्ध और 80 के दशक में कई आंदोलन चलाए थे। वर्ष 1988 में गन्ने की बढ़ी कीमत, कर्ज की माफी और पानी और बिजली की दरों को कम किए जाने के लिए चलाए गए आंदोलन से तो मेरठ शहर थम सा गया था। उसी वर्ष दिल्ली में किसानों की समस्या पर भारतीय किसान यूनियन ने दिल्ली के वोट क्लब पर एक सप्ताह का अपना प्रदर्शन कर भारतीय राजनीति में कृषक नेताओं की भूमिका मजबूती से रेखांकित कर दी थी।
चौधरी टिकैत की किसानों और ग्रामीण भारत के कल्याण के लिए चौ प्रतिबद्धता गहरी और अडिग थी। देश में उनके काम का जबरदस्त असर था और उनके काम ने किसानों के लिए समर्पित अन्य अनेक संगठनों को गठित करने की प्रेरणा दी थी। विश्लेषक मानते हैं कि टिकैत भले ही पढ़े-लिखे नेताओं में शुमार न होते हों, पर उनमें किसानों को लामबंद करने की अद्भुत प्रतिभा थी। उनके अद्भुत संघर्ष की क्षमता थी।
चौधरी टिकैत की अपनी पूरी जिंदगी वह राजनीति के दबाव से बखूबी निपटे। उनका कामकाज, उनकी दृढ प्रतिबद्धता, साहस और उनकी सादगी ने उन्हें अद्वितीय नेता बनाया। किसानों के लोकप्रिय नेता टिकैत ने उनके अधिकारों के लिए राज्य और केंद्र सरकारों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन किए। चौधरी टिकैत ने अनेकों बार सरकार को झुकाया और किसानों को उनका हक दिलाया।
चौधरी टिकैत का जन्म 6 अक्टूबर 1935 में मुजफ्फरनगर के सिसौली में एक किसान परिवार में हुआ था और आठ साल की उम्र में वे बालियान खाप के चौधरी भी बन गये थे। अपने आंदोलनों के चलते कई बार चौधरी टिकैत जेल भी गए पर उनकी ताक़त कम होने की बजाय हमेशा बढती ही रही और सरकार को हमेशा उनके आगे झुकना पड़ा। चौधरी टिकैत का 15 मई 2011 को 76 साल की अवस्था में बोन कैंसर से निधन हो गया था।
चौधरी टिकैत ने सिर्फ किसानों के मुद्दे ही नहीं उठाये बल्कि वह क्षेत्र में सामजिक एकता के भी पक्षधर थे। वर्ष 1989 में जनपद मुज़फ्फरनगर के भोपा क्षेत्र की मुस्लिम युवती नईमा के इन्साफ के लिए उनके द्वारा चलाये गये आन्दोलन ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया था। किसान नेता चौधरी टिकैत अक्खड़ स्वभाव के थे और अपनी देहाती शैली के कारण क्षेत्र में उनकी अलग पहचान थी।
हम इस अवसर पर किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को भारत रत्न देने की मांग करते है। और उन्हें जन्म दिवस पर शत शत नमन।