कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने गरीब लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है। जहां एक तरफ लोग कोरोना के संक्रमण से पीड़ित हैं और अपनी जान गंवा रहे हैं. तो वहीं दूसरी ओर इंसानों के जानी दुश्मन इस वायरस की चेन तोड़ने के लिए लगे लॉकडाउन और कर्फ्यू से आम आदमी के सामने दो वक्त की रोटी का भी संकट पैदा हो गया है। इसकी चौतरफा मार उन लोगों पर पड़ रही है जिनका रोज़ का लाना-खाना था, मगर इस लॉकडाउन ने उनके धंधे पूरी तरह चौपट कर दिए।
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कोरोना भारत को एक के बाद एक नए नए ज़ख्म देने पर तुला है। ये वायरस जहां लोगों की सांसे फुला रहा है तो वहीं महंगाई के इस दौर में गरीब परिवारों को भूख से भी तड़पा रहा है।
कोरोना की पहली लहर में महामारी ने करोड़ों लोगों को गरीबी की तरफ धकेल दिया था वहीं इस दूसरी लहर में और भी ज्यादा लोग गरीबी की दहलीज पर आ खड़े हुए हैं। कोरोना की ये दूसरी लहर गरीब परिवारों पर आफत बन कर आई है जबकि विकराल रूप धारण कर चुकी है इस महामारी के बीच लोगों का जीवन जीना मुहाल हो रहा है। बुलंदशहर में भी ऐसे हज़ारों परिवार हैं जिनके भरण पोषण के लिए घर के मुखिया या तो मेहनत मजदूरी करते हैं, या रेहड़ी/पटरी समेत छोटे मोटे कारोबार।
बेहद आक्रमक कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए जिस तरह यूपी सरकार की ओर से लॉकडाउन लगाया गया है तो उससे आमदनी का इनका जरिया भी पूरी तरह ख़त्म हो गया है। मूल रूप से बिहार के रहने वाले किशन यादव के घर में कुल 7 सदस्य हैं जबकि किशन बुलंदशहर में फेरी लगाकर खील/चना, मूंगफली आदि बेच कर पूरे परिवार का भरण पोषण करते हैं, मगर लॉकडाउन ने उनका जो हाल किया है उसे बयां करते हुए किशन भावुक हो उठे।
किशन ने बताया कि पहली लहर के संक्रमण को रोकने लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान सिस्टम और समाजसेवी संगठनों ने मदद के लिए ज़रूर हाथ आगे किये थे, मगर दूसरी लहर में उन सभी ने भी हाथ पीछे खींच लिए । ऐसे में वो समझ नहीं पा रहे हैं कि आगे कब तक लॉकडाउन रहेगा और उस दौरान उनके परिवार के लिए खाने पीने का बंदोबस्त हो पायेगा।
6 लोगों के परिवार के मुखिया हरिचन्द भी अपनी कहानी सुनाते हुए आंखों से बहते अश्कों को रोक न सके और उनकी ओर से बताया गया कि जवानी भर रिक्शा चलाकर ही बच्चों को पाला था, मगर साल 2020 से छाए बेबसी के बादल हैं कि छंटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।
कोरोनाकाल में लगातार दुःख झेल रहे हरिचन्द तो सरकारों से भी पूरी तरह उम्मीद छोड़ चुके हैं। जबकि हरिचन्द ईश्वर से बस कोरोना को निस्त-ओ-नाबूद करने की दुआ करते हैं। कुल मिलाकर कहा ये जा सकता है कि गरीबी रेखा के नीचे आने वाले लोगों पर इस कोरोनकाल में चौतरफा मार पड़ रही है। जबकि इस लहर ने करोड़ों मिडिल क्लास परिवारों को गरीब परिवारों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है।