नीरज शर्मा की रिपोर्ट
बुलंदशहर वैसे तो गरीबी खुद एक कैंसर की तरह है, मग़र क्या हो कि जो परिवार पहले ही बेहद गरीब हो, परेशानियों से जूझ रहा हो, दो जून की रोटी के लाले हों और उसके बाद भी उस परिवार के क़ई लोग कैंसर की जद में हों ?
बुलंदशहर के खुर्जा में एक ऐसा परिवार है जो पिछले 1 दशक से गरीबी और कैंसर की दोहरी मार झेल रहा है। ये परिवार आएदिन सरकारी मशीनरी और जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगाता है, मगर अभी तक इस परिवार को अगर कुछ मिला है तो वो है तसल्ली और आश्वासन।
एक कमरा, घर के आंगन में बंधे कुछ पशु, बन्द पड़ा नल, बिजली न पानी, गरीबी के दंश को झेल रहे इस परिवार का दर्द युहीं क्या कम था कि परिवार के मुखिया समेत 4 लोगों को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी ने दबोच लिया। ये परिवार बुलंदशहर के खुर्जा तहसील के बुढेना इस्माइलपुर गांव का रहने वाला है। परिवार का मुखिया राजू करीब 15 साल से कैंसर से पीड़ित है जबकि उसके बच्चे नितिन, हर्ष और अंशिका को भी इस जानलेवा बीमारी ने क़ई साल पहले अपनी जद में ले लिया। परिवार का मुखिया ही नहीं बल्कि घर मे रहने वाले छोटे-छोटे मासूम बच्चे खुद भी जानते हैं कि जो उम्र सिर्फ खिलौनों से खेलने के लिए होती है उस उम्र में वो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से ग्रस्त में हैं। बच्चे जानते हैं कि खुद इस बीमारी का दंश झेल रहे इनके पिता के पास इनके इलाज के लिए पैसा नहीं है।
इतना ही नहीं सरकार की और से चलाई जा रहीं तमाम योजनाओं ने भी इनकी चौखट तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया, या यूं कहें कि जिंदगी जीने की आस लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे इस परिवार से सिस्टम भी मुहं मोड़ चुका है।
परिवार का मुखिया बताता है कि जो कुछ कमाया था वो अपने और बच्चों के इलाज में गवा दिया। जबकि कोरोना में हुए लॉकडाउन के बाद से ही ये परिवार दिल्ली भी नहीं जा सका। अब राजू की पत्नी खेती करके जो थोड़ा बहुत कुछ कमा पाती है उससे ही इस परिवार को रोटी नसीब हो पाती है। पीड़ित के मुताबिक अधिकारियों की चौखट के खूब चक्कर लगाए गए, जनप्रतिनिधियों से भी मदद की गुहार लगाई गई, मगर किसी ने इनके इलाज़ या जीविका में कोई मदद करनी मुनासिब नहीं समझी।
जबकि पूरी तरह आवास, शौचालय, पेंशन जैसी हर एक योजना के लिए पूरी तरह पात्र राजू को किसी योजना तक का लाभ नहीं मिल सका।
हालांकि बुलंदशहर एडीएम प्रशासन रविन्द्र कुमार से बात करने पर उनकी ओर से दावा किया गया कि अब तक मामला उनके संज्ञान में नहीं था।
मगर प्रकरण संज्ञान में आने पर वो खुद मामले की जांच करा परिवार की हर मुमकिन मदद करने का दावा कर रहे हैं।