नॉएडा। गौतमबुद्ध नगर जिले के सभी मेडिकल स्टोर पर सीसीटीवी कैमरे लगाने अनिवार्य होंगे। अलग-अलग बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के दुरुपयोग से रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया है। जल्द ही जिला प्रशासन इस बारे में दिशा-निर्देश जारी करेगा। बच्चों में नशे की प्रवृति को देखते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने यह निर्देश दिए हैं।
शासन ने इस व्यवस्था को लागू करने के लिए जिला प्रशासन को जानकारी दे दी है। सीसीटीवी फुटेज का समय-समय पर औषधि विभाग और बाल कल्याण विभाग के अधिकारी निरीक्षण करेंगे। दवा दुकानों पर सीसीटीवी कैमरे नहीं मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति को देखते हुए मेडिकल स्टोर संचालकों को यह भी निर्देशित किया गया है कि किसी भी नाबालिग को बिना डॉक्टर के पर्चे के कोई दवा न दें।
औषधि विभाग सीसीटीवी लगाने के लिए एक महीने का समय दे सकता है। हालांकि, अभी तक इस पर कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है। औषधि निरीक्षक वैभव बब्बर ने बताया कि इस बारे में जानकारी मिली है। जिलाधिकारी के निर्देश के बाद यह व्यवस्था लागू होगी। सभी मेडिकल स्टोर संचालकों से इसके बारे में बता दिया जाएगा। सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होगा।
नार्कोटिक्स से संबंधित दवा बिना पर्चे के नहीं दी जाती
नार्कोटिक्स से संबंधित दवाएं डॉक्टरों के बिना पर्चे के नहीं दी जाती। वहीं कई अन्य दवाएं भी हैं जिसके लिए पर्चा जरूरी है। कई दर्द निवारक, कफ सिरप, नींद की दवा का उपयोग किशोर नशे के लिए कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया है। कई मेडिकल स्टोर बिना पर्चे के भी ये दवाएं दे देते हैं, जिसे रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। सीसीटीवी कैमरे दुकान के अंदर और बाहर की ओर लगाने होंगे। इससे यह पता चले कि दवा लेने वाला पर्चा लेकर आया या बिना पर्चा लिए। उसे कौन-कौन सी दवा दी गई। दवा लेने वाला नाबालिग है या व्यस्क।
दवा के 2200 खुदरा और थोक विक्रेता
गौतमबुद्ध नगर जिले में दवाओं के 2200 खुदरा और थोक विक्रेता हैं। नोएडा में 80 प्रतिशत से अधिक दवा दुकानों में पहले से ही सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, लेकिन देहात क्षेत्र की 20 प्रतिशत दुकानों में ही सीसीटीवी लगे हैं। ऐसे में सभी दुकानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने में परेशानी आ सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी-छोटी दुकानें हैं, जहां दुकानदार इसे लगाने में कतरा सकते हैं। ऐसे में औषधि विभाग को नियमित रूप से निरीक्षण कर व्यवस्था करनी होगी।