सुपरटेक बिल्डर (supertech builder) की ओर से ग्रीन बेल्ट की करीब सात हजार वर्ग मीटर जमीन पर कब्जा मिलने का मामला उजागर होने के बाद नोएडा प्राधिकरण हरकत में आ गया है। अब शहर के सभी 168 सेक्टरों में ग्रीन बेल्ट और पार्कों की जमीन खंगाली जाएगी। अगर ऐसी जमीन पर कब्जा मिला तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, निर्माण को ध्वस्त किया जाएगा।
सुपरटेक बिल्डर ने एमरॉल्ड सोसाइटी ( emerald society) से सटी ग्रीन बेल्ट पर कब्जा कर रखा था। इस पर जनरटेर व सामान रखा था। बिल्डर करीब 8-9 साल से इस जमीन का इस्तेमाल कर रहा था। इसके बराबर स्थित एटीएस सोसाइटी ने ग्रीन बेल्ट की ओर से चारदीवारी कर ली थी लेकिन सुपरटेक बिल्डर ने कब्जा नहीं छोड़ा था। सिविल विभाग को इस अविकसित ग्रीन बेल्ट को चारदीवारी कर उद्यान विभाग को हैंडओवर करना था। एसआईटी की जांच में ग्रीन बेल्ट के कब्जे का खुलासा होने पर अब नोएडा प्राधिकरण हरकत में आ गया है। उद्यान विभाग ने सिविल और नियोजन विभाग के साथ ग्रीन बेल्ट और पार्कों की जमीन खंगालने का काम शुरू कर दिया है। यह जांच सेक्टर-1 से शुरू होकर सेक्टर-168 तक होगी। नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि सेक्टर-168 तक के सभी सेक्टरों के लेआउट प्लान मंगवा लिए गए हैं। रोजाना एक सेक्टर की ग्रीन बेल्ट और विकसित किए गए पार्कों की मौके पर जाकर जांच की जाएगी। लेआउट प्लान के हिसाब से किस सेक्टर में कितनी लंबी ग्रीन बेल्ट और कितने वर्ग मीटर का पार्क विकसित किया गया है, उसकी पैमाइश भी कराई जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि जांच में संस्थागत, आवासीय, व्यावसायिक और औद्योगिक क्षेत्र में स्थित सभी सेक्टरों को शामिल किया गया है। गांवों में ग्रीन बेल्ट और पार्क की जमीन को अलग तरह से चिह्नित नहीं किया जाता है, ऐसे में वहां पर कब्जे की आशंका कम है। हालांकि, गांवों में अगर इस तरह की ग्रीन बेल्ट की जमीन होने की बात सामने आती है तो उसकी भी जांच की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि ग्रीन बेल्ट और पार्कों की जांच का काम हाईराइज सोसाइटी और मॉल से किया जाएगा। शहर में 110 से अधिक सोसाइटी और करीब एक दर्जन मॉल हैं। आशंका है कि इन जगह आवंटन से अधिक जमीन के अलावा उससे सटी ग्रीन बेल्ट पर कब्जा हो सकता है।
सेटेलाइट तस्वीरों (satellite photo)से रिकॉर्ड खंगाला जाएगा
अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 1976 में 19 हजार 600 हेक्टेयर में शहर को बसाने की योजना तैयार की गई थी। करीब 30 साल बाद वर्ष 2007 के आसपास ग्रुप हाउसिंग के तहत बिल्डरों को भूखंड आवंटित करने की प्रक्रिया तेजी से शुरू हुई। यह सिलसिला वर्ष 2015-15 तक चला। इस दौरान बिल्डरों ने अपनी ताकत व आला नेताओं-अफसरों से संबंधों का इस्तेमाल करते हुए ग्रीन बेल्ट व पार्कों पर कब्जा कर लिया। ऐसे में इस मामले की बारीकी से जांच करने के लिए नोएडा प्राधिकरण सेटेलाइट इमेज का सहारा लेगा। सेटेलाइट इमेज का वर्तमान स्थिति से मिलान कराया जाएगा।