देहरादून। चमोली जिले में स्थित हेमकुंड साहिब, लोकपाल मंदिर और घांघरिया अब फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान के ईको सेंसिटिव जोन की बंदिशों से मुक्त हो जाएंगे। कैबिनेट ने तीनों स्थलों के साथ ही इनके पहुंच मार्ग को ईको सेंसिटिव जोन से बाहर करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। सेंसिटिव जोन का क्षेत्रफल लगभग 108.23 वर्ग किलोमीटर निर्धारित किया गया है। अब राज्य की ओर से यह प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा और फिर केंद्र सरकार ही इस संबंध में अधिसूचना जारी करेगी।
विश्व धरोहर स्थल फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान के प्रस्तावित ईको सेंसिटिव जोन में पहले घांघरिया, हेमकुंड साहिब व लोकपाल मंदिर को भी शामिल किया गया था। बाद में इसे लेकर हुई जनसुनवाई के दौरान क्षेत्रवासियों ने इन तीनों स्थलों को सेंसिटिव जोन से बाहर करने का आग्रह किया। उनका कहना है कि हेमकुंड साहिब और लोकपाल मंदिर में हर साल ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। ये सभी घांघरिया से होकर इन स्थलों के लिए पहुंचते हैं।
ईको सेंसिटिव जोन के दायरे में आने से इसकी बंदिशों के कारण वहां श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था जुटाने समेत अन्य निर्माण कार्य कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इसके बाद फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान के प्रस्तावित ईको सेंसिटिव जोन का संशोधित प्रस्ताव तैयार कर शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में रखा गया, जिसे मंजूरी दे दी गई। इसमें घांघरिया, हेमकुंड साहिब व लोकपाल मंदिर को सेंसिटिव जोन के दायरे से बाहर किया गया है। प्रमुख सचिव वन आनंद बर्धन ने बताया कि अब यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
ईको पार्क के लिए हर्बल्स का गठन
टिहरी जिले के अंतर्गत मुनिकीरेती में ईको पार्क के निर्माण के लिए हिमालयन पारिस्थितिकी सुधार जैव-विविधता आवर्धन और आजीविका संवद्र्धन संस्था (हर्बल्स) के गठन को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2017 में इस पार्क के निर्माण की घोषणा की थी। अब संस्था का गठन होने से वहां जैवविविधता के संरक्षण, पर्यावरण व पारिस्थितिकीय सुधार, वन्यजीवों की सुरक्षा व पुनर्वास, जलवायु परिवर्तन, आजीविका विकास, सतत पर्यावरणीय पर्यटन, प्रकृति शिक्षा को बढ़ावा समेत अन्य कदम उठाए जा सकेंगे। साथ ही पार्क को औषधीय पादपों के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाएगा।