नोएडा/गाजियाबाद। भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा यूपी समेत 5 राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान करने के साथ ही नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में भी आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। चुनाव आचार संहिता लागू होने के साथ ही राज्य में सत्तासीन सरकार पर भी कई तरह के प्रतिबंध लागू हो जा जाते हैं। खासकर सत्तासीन सरकार किसी भी प्रकार की घोषणा नहीं कर सकती है। इसके साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियों, प्रत्याशियों के साथ आम आदमी पर भी लागू होते हैं। दरअसल, चुनाव आचार संहिता लागू होने के साथ मतदाताओं को प्रभावित करने पर प्रतिबंध लग जाता है। सुप्रीम कोर्ट वर्ष 2001 में दिए गए अपने एक फैसले में कह चुका है कि चुनाव आयोग का नोटिफिकेशन जारी होने की तारीख से आदर्श आचार संहिता को लागू माना जाएगा। इस लिहाज से शनिवार से ही समूचे उत्तर प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है।
इसके तहत सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल या नेता को फायदा पहुंचाने वाले काम के लिए नहीं होता है। वहीं, सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह आचार चुनाव संहिता का उल्लंघन होगा। किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण और शिलान्यास आदि नहीं होगा। नियमानुसार, किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी, राजनेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस से अनुमति लेनी होगी। चुनाव प्रचार के दौरान धर्म या जाति के नाम पर मतदाताओं को प्रभावित नहीं कर सकता है।
सरकार पर लागू होंगे प्रतिबंध
सरकारी भवनों में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के अलावा मंत्रियों के साथ राजनीतिक शख्सियत की तस्वीर नहीं लगाई जाएगी। इसके अलावा, सत्ताधारी सरकार की उपलब्धियों और बखान करने वाले प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और अन्य मीडिया में विज्ञापन नहीं दे पाएंगे। किसी तरह के रिश्वत या प्रलोभन पर कार्रवाई का प्रावधान है।
उद्घाटन और शिलान्यास पर रोक
चुनाव की तारीखों की घोषणा होने के साथ ही सत्ताधानी दल द्वारा पदासीन मंत्रियों द्वारा सार्वजनिक उद्घाटन और शिलान्यास करने पर प्रतिबंध लग जाता है। इसके साथ किसी नए काम को स्वीकृति नहीं मिलती है। अगर विशेष हो तो ऐलान के लिए चुनाव आयोग की अनुमति लेनी होती है। सरकार की उपलब्धियों वाले होर्डिंग्स हटा लिए जाते हैं। इस बार रैली, पदयात्रा और जुलूस पर भी चुनाव आयोग ने रोक लगा दी है। यह पहली बार हो रहा है, ऐसा कोरोना वायरस संक्रमण के चलते किया गया है।
उम्मीदवारों पर भी कार्रवाई कर सकता है चुनाव आयोग
आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर उम्मीदवारों पर चुनाव आयोग के पास कार्रवाई का भी अधिकार है। यहां तक चुनाव पर रोक और एफआइआर भी करवा सकता है।
यह भी जानें
- चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक भारतीय निर्वाचन आयोग के तहत आ जाते हैं।
- यहां तक कि निर्वाचन आयोग चाहे तो अधिकारियों और कर्मचारियों का स्थानांतरण भी कर सकता है।
- जिला अधिकारी स्वत: ही जिला निर्वाचन अधिकारी हो जाता है।
- चुनाव प्रक्रिया के दौर यदि कोई सरकारी अधिकारी या पुलिस अधिकारी किसी राजनीतिक पार्टी का पक्ष लेता है तो चुनाव आयोग को उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।