लखनऊ। कुछ अपराधियों ने हत्या, लूट और चोरी के मामले में जेल से जमानत पर छूटने के बाद एक गिरोह बनाकर इन दिनों राजधानी में बोलेरो में पुलिस की बत्ती और लोगो लगाकर घूम-घूमकर चोरी कर रहे थे। इस गाड़ी में उन्होंने भारत सरकार भी लिखवा रखा था। गिरोह के लोग लाकडाउन में अंग्र्रेजी शराब की दुकानों को टारगेट बनाते थे। दुकानों का ताला तोड़कर बोलेरो में शराब की पेटियां भरकर ले जाते थे। इसके बाद उन्हें महंगे दामों में बेच देते थे। कोतवाली आशियाना पुलिस ने इस गिरोह के 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। उनके पास से 15 शराब की पेटी बरामद कर आशियाना और ठाकुरगंज क्षेत्र स्थित शराब की दुकानों में हुई चोरी की घटना का राजफाश कर दिया है। पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए भी दबिश दे रही है।
ADCP पूर्वी सैय्यद मोहम्मद कासिम आब्दी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपितों में दीपक कश्यप निवासी मलहा काकोरी उसका भाई रोहित कश्यप, मोहित निवासी किथाईया राम सनेही घाट बाराबंकी, दिलीप कुमार निवासी जबरौली मोहनलालगंज है। यह लोग दिन में रेकी करते और रात में अंग्र्रेजी शराब की दुकानों में वारदात को अंजाम देते। चारों को रेलवे अंडर पास के समीप एक शराब की दुकान में चोरी करते हुए पकड़ा गया है। हाल ही में यह लोग जेल से जमानत पर छूटे थे। दिलीप कश्यप के खिलाफ आशियाना, ठाकुरगंज, पीजीआइ, निगोहां में लूट और चोरी के 11 मुकदमें दर्ज हैं। जबकि दिलीप के खिलाफ मोहनलालगंज में हत्या और इटौंजा व ठाकुरगंज में चोरी के मुकदमें दर्ज हैं। इन्हीं दोनों ने पूरा गिरोह बनाया था।
अपनाते थे यह तेरीका
इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता ने बताया कि यह लोग दुकानों की रेकी के ही समय उसके आस पास की स्थिति पता कर लेते थे। दुकान बंद होने के करीब चार घंटे बाद देर रात हूटर बजाते हुए बोलेरो से पहुंचते। अगर कोई आस पास मिलता तो उसे डपटकर भगा देते थे। इसके बाद शराब की दुकान के कैमरे का कनेक्शन काट देते। बोलेरो को सटाकर उसके शटर के पास लगाते ताला तोड़ते और शराब की पेटियां भरकर हूटर बजाते भाग जाते थे। बोलेरो में पुलिस की बत्ती लगी देख इन्हें कोई रोकता भी नहीं था। गिरोह ने गहरू में कुछ दिन पहले शराब की दुकान से करीब 20 पेटियां चोरी की थीं उसमें से 13 पेटी और ठाकुरगंज स्थित अंग्र्रेजी दुकान की शराब से चोरी की दो पेटियां बरामद की हैं।
इस तरह चलते थे गाड़ी को
इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता ने बताया कि बोलेरो से आरपीएफ के अफसर चलते थे। गाड़ी शशि विंद कुमार सिंह के नाम से है। गाड़ी आरपीएफ में अटैच थी। चालक मोहित अधिकारियों को उनके घर छोडऩे के बाद अपने साथियों को बुलाता था। उसके बाद चोरी की घटनाओं को अंजाम देता था। जब कभी गाड़ी आने में देरी होने पर मालिक शशि विंद, चालक मोहित को फोन करते तो वह उनसे झूट बोल देता था कि गाड़ी खराब हो गई है। अथवा उसके रिश्तेदार बीमार हैं वह उनको लेकर जा रहा है। कोई न कोई बहाना बता देता था।