रांची, झारखंड एक बार फिर से देश-दुनिया में चर्चा में है। यहां तब्‍लीगी जमात से जुड़ी 3 महिलाएं लगातार 111 दिनों तक क्‍वारंटाइन सेंटर से लेकर जेल में कड़ी निगरानी में रहने के बावजूद गर्भवती मिली हैं। मामले का खुलासा होने के बाद नीचे से ऊपर तक शासन-प्रशासन में खलबली मची है। क्‍वारंटाइन सेंटर में शारीरिक दूरी का पालन करने के बजाय शारीरिक संबंध बनाने के मसले पर फिलहाल सभी ने चुप्‍पी साध रखी है। जिम्‍मेदार पदाधिकारी इस मामले में मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं। पुलिस, प्रशासन, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग और जेल इस मामले में अपनी गर्दन फंसते देख अपनी भूमिका से पल्‍ला झाड़ने में लगे हैं। इस बीच रांची के उपायुक्‍त छवि रंजन ने पूरे मामले की जांच के लिए एडिशनल कलक्‍टर को जिम्‍मेदारी सौंपी है।

राजधानी रांची के खेलगांव स्थित क्वारंटाइन सेंटर में तब्लीगी जमात की तीन विदेशी महिलाओं के गर्भवती होने की खबर दैनिक जागरण में छपने के बाद पूरे झारखंड में हड़कंप मच गया है। रांची जिला उपायुक्त छवि रंजन ने बुधवार को इस गंभीर मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। एडिशनल कलेक्टर (अपर समाहर्ता) मामले की जांच करेंगे। क्वारंटाइन सेंटर में शारीरिक दूरी का पालन क्यों नहीं हुआ, इस सेंटर की निगरानी किसके जिम्मे थी, अब उससे पूछताछ की जाएगी। इसके बाद ही पूरे मामले का खुलासा हो पाएगा।

झारखंड हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ताओं के अनुसार अगर महिला क्वारंटाइन सेंटर में रहने के दौरान गर्भवती हुई है तो एपेडेमिक डिजिज एक्ट-2020 का उल्लंघन हुआ है। ऐसे में उक्त महिला व पुरुष के खिलाफ एक्ट की धारा 2 (3) के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। वहीं, जिस प्रशासनिक अधिकारी के जिम्मे यहां की व्यवस्था थी उसके खिलाफ भी लापरवाही का मामला बनता है।

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