चित्रकूट। डकैत गौरी यादव के गांव बिलहरी में खुशी और गम दोनों तरह का माहौल है। उन घरों के लोग खुश हैं, जिन्हें उसने नुकसान पहुंचाया था, जबकि मां राजरानी बेटे के लिए बिलखती रही। पुलिस गौरी के सहारे ददुआ को पकडऩा चाहती थी। उसे हर आपरेशन में साथ ले जाती थी। वर्ष 1976 में पैदा हुआ गौरी पढ़ा-लिखा नहीं था। उसके पिता बाबूलाल मामूली काश्तकार थे। इसीलिए जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही वह गुपचुप अपराध करने लगा था। मां का कहना है कि ‘पुलिसै डकैत बनाइस आउर अब मार डारिस। बेटा खोने का दुख है, लेकिन डकैत से कोई वास्ता नहीं था। पिछले छह साल से उससे नहीं मिली थी।
मानिकपुर तहसील अंतर्गत जिस बिलहरी गांव की माटी में डकैत गौरी पला बढ़ा था, उससे करीब दो किमी दूर ही एसटीएफ ने उसे मौत की नींद सुलाया। शनिवार भोर पहर गोलियों की तड़तड़ाहट उसके घर तक पहुंची थी। मां ने रो-रोकर बताया कि जब बेटवा गौरीवा ढाई साल का रहा तो बाप का दुश्मन मरवा डारेन। गरीबी में सेए पालेव। पुलिसै लेवा लई जात रही आउर अब मार भी डारिस। दुदुआ हरन को ढुंढवाने का लई जात रही। वह कैसे डकैत बना, यह नही जानत आए। पुलिसै वही का जंगल मा उतारिस रहै। पुलिस सूत्र भी बताते हैं कि ददुआ को पकडऩे के लिए एसटीएफ ने ढाल के तौर पर गौरी को पाठा के जंगलों में उतारा और बाद में वही उसके लिए सिरदर्द बन गया।
बेटवा नहीं, जनता बनाइस रहिस परधान
गौरी की मां राजरानी वर्ष 2015 में बिलहरी ग्राम पंचायत की प्रधान थी। मां को डकैत गौरी ने ही प्रधान बनाया था। हालांकि, उसने इससे साफ इन्कार किया। कहा कि ‘बेटवा नहीं, जनता परधान बनाइस रहिस। वैसे, वह उसके पहले भी चुनाव लड़ी थी, लेकिन हार गई थी। गौरी उस समय जेल में था। छह साल से नहीं आया था घर, 10 बार हुई कुर्की मां के मुताबिक, गौरी छह साल से घर नहीं आया था। उसके पास मोबाइल फोन भी नहीं है। इसलिए संपर्क तक नहीं कर पाई। गांव नहीं आने से पुलिस ने 10 बार घर की कुर्की की। इससे खंडहर हो गया है। उसने बंटवारा कर लिया था। वह अपने हिस्से में वह रहती और मजदूरी कर भरण-पोषण करती है। बेटवा की कमाई से कोई मतलब नही रहा।
दिल्ली पुलिस के दारोगा की हत्या कर आया था चर्चा में
डकैत गौरी यादव 16 मई 2013 में दिल्ली पुलिस के दारोगा जयभगवान की हत्या करके फिर से सुर्खियों में आया था। इससे पहले वह काफी दिन तक भूमिगत था। पुलिस के मुताबिक, दिल्ली में चोरी की एक घटना में बिलहरी गांव का प्रेमचंद्र आरोपित था। उसकी तलाश में दारोगा जयभगवान आए थे। ग्रामीणों ने उनको खदेड़ लिया था। इसी बीच गौरी ने प्राथमिक विद्यालय छोटी बिलहरी के पास पीपल के पेड़ के नीचे उन्हें गोली मार दी थी।