नई दिल्ली। तुर्की ने तालिबान के उस अपील को स्वीकार कर लिया है जिसमें तुर्की से काबुल एयरपोर्ट के संचालन के लिए तकनीकी मदद मांगी गई थी। तुर्की राष्ट्रपति के प्रवक्ता इब्राहिम खान ने एक न्यूज चैनल के साथ हुई बातचीत में बताया है कि इस संबंध में सरकार की देश के सिविलियन एक्सपर्ट के बीच वार्ता चल रही है, जिससे काबुल एयरपोर्ट पर तकनीकी मदद दी जा सके। आपको बता दें कि फिलहाल अमेरिकी फौज ने ही काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा और संचालन की जिम्मेदारी उठा रखी है। 31 अगस्त तक अमेरिका को यहां से चले जाना है। तालिबान पहले ही ये साफ कर चुका है कि अफगानिस्तान में अब विदेशी सेनाओं की कोई जरूरत नहीं है।
ब्रिटेन के अखबार गार्जियन की खबर के मुताबिक जर्मनी भी इस बारे में तुर्की के संबंध में है। वो भी जानना चाहता है कि क्या वो 31 अगस्त तक अमेरिकी सेना के जाने के बाद काबुल एयरपोर्ट से सिविलियन एयरक्राफ्ट के संचालन के लिए तकनीकी मदद देगा या नहीं। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति इस बात की भी संभावना जता चुके हैं कि उनकी यहां से जाने की समय सीमा 31 अगस्त के आगे भी खिसक सकती है। ऐसी सूरत में अमेरिका की ही मदद से एयरपोर्ट का संचालन होता रहेगा। हालांकि तालिबान साफ कर चुका है कि वो अमेरिका को अब वापसी की समय सीमा बढ़ाने की इजाजत नहीं देगा।
अमेरिका के इस प्रस्ताव को जी-7 की बैठक में बहुत तवज्जो नहीं मिली है। जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास ने कहा है कि वो अमेरिका, तुर्की समेत दूसरे सहयोगी देशों के साथ संपर्क में हैं जिससे 31 अगस्त के बाद भी लोगों को वहां से सुरक्षित बाहर निकाल सकें। इस मुद्दे पर जर्मनी की तालिबान से भी वार्ता चल रही है। तुर्की ने साफ कर दिया है कि उसको अपनी सेना को वहां सेनिकालने के लिए 36 घंटों का समय चाहिए। इसके बाद वो काबुल एयरपोर्ट की दूसरी जिम्मेदारी संभालेंगे। तुर्की की तरफ से ये भी कहा गया है कि यदि तालिबान शर्तों पर राजी हो जाता है आगे कदम बढ़ाया जाएगा। इस बीच तुर्की ये स्पष्ट कर चुका है कि वो तालिबान को फिलहाल मान्यता नहीं दे रहा है, न ही वो अफगान शरणार्थियों को अपने यहां पर जगह ही देने वाला है।