हल्द्वानी : प्रचंड बहुमत की सरकार का मुखिया बनने के बाद 22 अप्रैल 2017 (दिन शनिवार) को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पहली बार जिले में पहुंचे थे। नैनीताल में भाजपा कार्यसमिति की बैठक के बाद नैनीताल क्लब में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि हल्द्वानी में वाहनों का दबाव लगातार बढ़ रहा है। इसलिए रिंग रोड बनाकर स्थानीय लोगों के अलावा सैलानियों की दिक्कत भी दूर की जाएगी। जिसके बाद डिजायन तैयार करा बजट सर्वे भी कराया गया, लेकिन तीन साल 11 महीने बीतने के बावजूद प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतर सका। हालांकि, प्रोजेक्ट केंद्रीय पोषित योजना का हिस्सा बनने के लिए फाइल भारत सरकार को पहुंच चुकी है।
कुमाऊं की आर्थिक राजधानी होने के साथ ही हल्द्वानी पर्वतीय पर्यटन स्थलों का रास्ता भी है। जिस वजह से ट्रैफिक यहां आम समस्या हो चुकी है। अप्रैल 2017 में जब सीएम ने 51 किमी लंबी ङ्क्षरग रोड की घोषणा की तो लगा कि अब जल्द इस संकट से निजात मिल जाएगी, लेकिन महंगा प्रोजेक्ट होने के कारण शासन से इसे केंद्र सरकार को भेजा गया। जहां सैद्धांतिक अनुमति मिलने पर शासन ने इसकी फाइल केंद्रीय पोषित योजना में बढ़ा दी। हालांकि, देखना यह है कि अब नए सीएम केंद्र में इस अहम प्रोजेक्ट की कितनी पैरवी करेंगे।
हर सर्वे में बढ़ता गया बजट
अप्रैल 2017 में जब रिंग रोड की घोषणा हुई तो अनुमान लगाया गया कि काम पूरा होने में 400 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मगर वर्तमान में सिर्फ प्रथम चरण के लिए 1120 रुपये की जरूरत पड़ रही है। प्रथम चरण का बजट मुआवजा, जमीन अधिग्रहण, जलसंस्थान व ऊर्जा निगम जैसे महकमों पर खर्च होगा। सड़क बनाने के लिए करीब 720 करोड़ रुपये चाहिए। हर सर्वे में बजट बढ़ता चला गया।
आइएसबीटी की नई जमीन नहीं मिली
कांग्रेस शासनकाल में स्वीकृत हुए गौलापार आइएसबीटी का काम भाजपा सरकार में रोक दिया गया था। तब सरकार ने दूसरी जगह जमीन चिन्हित कर जल्द काम शुरू करवाने का वादा किया गया था। मगर अभी तक नई जमीन की तलाश पूरी नहीं हो सकी। तीनपानी की वनभूमि को लेकर अभी प्रक्रिया चल रही रही है। वहीं, प्रकरण हाई कोर्ट में भी चल रहा है।