नोएडा। बिल्डरों को भूखंड आवंटन करने में प्राधिकरण अधिकारियों ने नियमों की धज्जियां उड़ा दी थी। वर्ष 2005 से 2018 तक बिल्डरों को जितने भी व्यवसायिक भूखंड का आवंटन किया गया है, वह औद्योगिक व संस्थागत गतिविधियों के लिए आरक्षित थे। उद्योग स्थापित कराने के बजाय भूखंडों का आवंटन कारपोरेट सेक्टर की गतिविधियों के लिए कर दिया गया। इससे प्राधिकरण अथवा सरकार को 3032 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में लाजिक्स के दो भूखंड का हवाला देकर 200 से अधिक व्यवसायिक भूखंड की संपत्तियों का जिक्र किया है। मास्टर प्लान में सभी संपत्तियां औद्योगिक गतिविधियों के लिए आरक्षित थी। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की बिना अनुमति व मास्टर प्लान में संशोधन किए बिना ही जमीन का आवंटन व्यवसायिक गतिविधियों के लिए कर दिया गया। रिपोर्ट में प्राधिकरण अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए स्पष्ट किया है कि वर्ष 2005 से 2018 तक जितने भी व्यवसायिक भूखंडों का आवंटन हुआ है, वह नियम विपरीत हैं। इनमें खासकर तीन बिल्डर वेव, थ्री सी और लाजिक्स को लाभ पहुंचाया गया। 80 फीसद से अधिक भूखंडों का आवंटन इन्हीं को किया गया है।
नोएडा में फार्म हाउस: यह सिलसिला अक्टूबर 2012 के बाद भी जारी रहा, जबकि राज्य सरकार ने इसके बाद छूट को समाप्त कर दिया था। आइटी/आइटीईएस इकाइयों को किए गए 153 आवंटनों में प्राधिकरण को 147.4 करोड़ रुपये की क्षति हुई। अपात्र होने के बावजूद सीबीएस इंटरनेशनल को आवंटन: नोएडा प्राधिकरण ने संस्थागत क्षेत्रों में प्रचलित नियमों और शर्तों पर आइटी पार्क की स्थापना के लिए औद्योगिक क्षेत्र में सीबीएस इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (सीबीएस) को 52.77 करोड़ रुपये के प्रीमियम पर 1,02,949 वर्ग मीटर का भूखंड आवंटित किया।
आडिट में पाया गया कि आवंटन के लिए सीबीएस शुरू से ही अपात्र थी, क्योंकि मेसर्स बर्चिल वीडीएम नामक एक विदेशी कंपनी आवेदन के समय सीबीएस में शेयरधारक नहीं थी, लेकिन भूखंड के आवंटन की अर्हता दिखाने के लिए ऐसा दिखाया गया था। सीबीएस ने भूटानी समूह के साथ गैर आइटी/आइटीईएस इकाइयों को आवासीय स्टूडियो अपार्टमेंट और वाणिज्यिक स्थानों की बिक्री के लिए खुले तौर पर विज्ञापन दिया, जबकि यह केवल आइटी/आइटीइएस इकाइयों को उनके कैपटिव उपयोग के लिए दिया जाना था। इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की उदासीनता से आवंटी को 745.56 करोड़ रुपये की सीमा तक अनुचित लाभ हुआ।
बिल्डर को लाभ देने को कम की जमीन आवंटन दरें: नोएडा प्राधिकरण में वर्ष 2006-07 तक जमीन आवंटन के 90 दिन के अंदर बिल्डरों को कुल धनराशि का 40 फीसद हिस्सा जमा करना था, लेकिन इसके बाद नियमों में बदलाव कर दिया गया। जमीन आवंटन के लिए मात्र 10 फीसद धनराशि का नियम लागू कर दिया गया। कैग की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए व्यवसायिक व कारपोरेट के लिए सस्ती दर पर भूखंडों का आवंटन कर दिया गया।
इन मामलों में तो 10 फीसद से भी कम राशि प्राधिकरण में जमा हुई। शेष धनराशि को वसूलने के लिए प्राधिकरण ने कोई प्रयास नहीं किया। बिल्डरों को औपचारिकता के लिए सिर्फ नोटिस देने की कार्रवाई की गई। बिल्डरों ने प्राधिकरण के अधिकांश नोटिस का जवाब तक नहीं दिया