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बाब रोडे शाह जिनकी समाधि पर चढ़ती है शराब, मन की मुरादें पाते हैं लोग, जानें आस्था का ये अनोखा रंग

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शराब को कई बुराइयों की जड़ माना जाता है। लेकिन पंजाब के गांव में यह शराब प्रसाद की तरह पी जाती है। पंजाब के भोमा गांव स्थित बाबा रोडे शाह की समाधि पर लोग शराब चढ़ाते हैं। ये मजार मजीठा से पांच किलोमीटर की दूरी पर है। एक पूल के नजदीक स्थित बाबा रोडे शाह की समाधि के सेवक बताते हैं कि बाबा रोडे शाह जी गांव धीमान (दमोदर) जिला गुरदासपुर से थे। बाबा जी बचपन से ही भक्ति में लीन रहते थे। उन्होंने यहां आकर चबूतरा बनाया, जिस पर बैठकर वह भक्ति किया करते थे। यहां हर साल मार्च के महीने में विशाल मेला लगता है। मान्यता है कि मन्नत पूरी होने पर इस मेले में बाबा रोडे शाह की समाधि पर लोग शराब चढ़ाते हैं, जिसे प्रसाद के रूप में भक्तों को पिलाया जाता है। इस मेले में पुरुषों के साथ साथ महिलाएं भी बढ़ चढ़ कर शिरकत करती हैं और शराब का प्रसाद लेती हैं। मेले में बाबा जी के श्रद्धालु देसी, अंग्रेजी व विदेशी शराब की कुछ बूंदें बाबा जी की समाधि पर रखे गए एक बर्तन में डालते हैं। उसके बाद वह शराब श्रद्धालुओं को बांट दी जाती है।

अमृतसर स्थित बाबा रोडेशाह की समाधि पर शराब चढ़ाने एवं उनका आशीर्वाद लेने के लिए बुधवार को लोगों की भारी भीड़ जुटी। हालांकि इस दौरान कोविड-19 नियमों का पालन नहीं किया गया। अमृतसर-फतेहगढ़ चूड़ियां रोड के भोमा गांव स्थित समाधि पर पिछले 90 साल से यह उत्सव होता आ रहा है। बुधवार को इसका समापन हुआ।

भोमा गांव के सरपंच और बाबा के रिश्तेदार गुरनेक सिंह समाधि का प्रबंधन करते हैं। उन्होंने बताया कि बाबा बर्तन में शराब एकत्र करते थे और उसे श्रद्धालुओं में बांटते थे लेकिन उन्होंने खुद कभी शराब नहीं पी। गुरनेक सिंह ने बताया कि शराब यहां साल भर चढ़ाई जाती है लेकिन उत्सव के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है।

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गांव के ही गुरुसेवक सिंह ने बताया कि पहले एक दिन पुरुष और दूसरे दिन महिलाएं शराब चढ़ाने आती थीं लेकिन समय के साथ पुरुष एवं महिलाएं एक ही समय समाधि पर शराब चढ़ाने आने लगीं। बाद में इसी शराब को श्रद्धालुओं को बांट दिया जाता है। महिलाएं भी यह प्रसाद ग्रहण करती हैं।

बाबा रोडे शाह 1896 में भोमा गांव में बस गए थे। कहा जाता है कि भोमा के एक किसान को शादी के कई साल बाद भी संतान प्राप्त नहीं हुई। वह बाबा के पास आया और अपनी व्यथा कही। उनके आशीर्वाद से किसान को एक बेटा हुआ। तब किसान ने बाबा को 500 रुपये का चढ़ावा चढ़ाया लेकिन बाबा ने पैसे लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने उस किसान को एक बोतल शराब खरीदकर श्रद्धालुओं में बांटने को कहा। तभी से यहां चढ़ावे के तौर पर शराब चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो गया।

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