ग्रेटर नोएडा : बाल विकास विभाग ने जिले में बच्चों को कुपोषण ने निजात दिलाने का दावा किया है। विभागीय आंकड़ों में महज 446 बच्चे अतिकुपोषित व 1,766 बच्चे कुपोषण की श्रेणी में दर्ज हैं, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष अति कुपोषण की श्रेणी में 1,428 व कुपोषण की श्रेणी में 11 हजार 327 बच्चे दर्ज थे। कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों की श्रेणी का घटता क्रम देख विभागीय अधिकारी बच्चों में कुपोषण से मुक्ति दिलाने का दंभ भर रहे हैं। जबकि धरातल पर हकीकत कुछ ओर ही बयां कर रही है। तो कहीं नया मानक तो नहीं वजहपहले बच्चों के वजन मापन के बाद अति कुपोषित, कुपोषित व सामान्य श्रेणी में दर्ज किया जाता था। बच्चों की श्रेणी लाल, पीले व हरे रजिस्टर में दर्ज की जाती थी। लाल व पीले रजिस्टर में दर्ज ऐसे बच्चे जिनका वजन कम अथवा बीमार होते थे उन्हें कुपोषित व अतिकुपोषित की श्रेणी में रखा जाता था। अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों का वजन मापन करने के बाद स्मार्ट फोन पर बच्चे का पूरा ब्योरा दर्ज करा रही हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मानें तो पोषण ट्रैकर पर जो कुपोषण व अतिकुपोषण श्रेणी के मानक हैं, शासन ने उनमें भी बदलाव कर दिया है, जिस कारण जिले में ज्यादातर बच्चे कुपोषित व अतिकुपोषित की श्रेणी से बाहर हो गए हैं। -जिले में आंगनबाड़ी केंद्र -1108
-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता – 981
-जिले में छह माह से तीन साल तक के बच्चों की संख्या – 45,747 बच्चे
-तीन साल से छह साल के बच्चे – 22,119
-गर्भवती व महिला धात्रियों की संख्या- 23,036
वर्ष कुपोषित बच्चे अतिकुपोषित बच्चे
2016 : 8248 3090
2018 : 3528 1241
2019 : 9055 3043
2020 : 13365 1955
2021 : 11327 1428
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स्मार्ट फोन से पोषण ट्रैकर एप पर आंगनबाड़ी बच्चों का वजन मापन कर डाटा फीड कर रही हैं। जिले में 446 अति कुपोषित व 1766 बच्चे कुपोषण की श्रेणी में दर्ज किए गए हैं।
– दिलीप कुमार, प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी