कोविड महामारी के बीच मरीजों में ब्लैक फंगस की बीमारी तेजी से फैली थी। डॉक्टरों ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए एमफोटेरिसिन इंजेक्शन को स्वीकृत किया था। अचानक से एमफोटेरिसिन की मांग बढ़ने पर बाजार में यह इंजेक्शन नहीं मिल रहा था। इसलिए मुंहमांगे दाम देकर भी लोग इंजेक्शन लेने को तैयार थे। गोमतीनगर के रत्नाकर शुक्ल ने भी दोस्त के इलाज के लिए इस इंजेक्शन को खरीदने के लिए दो लोगों से सम्पर्क किया था। जिन्होंने दस लाख रुपये लेने के बाद भी इंजेक्शन उपलब्ध नहीं कराए। जिससे मरीज की मौत हो गई थी। अब रत्नाकर ने ठगों के खिलाफ गोमतीनगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।
विश्वासखंड-दो निवासी रत्नाकर शुक्ला के मित्र राजेश बंसल कोविड महामारी के दौरना ब्लैक फंगस से ग्रसित होकर अस्पताल में भर्ती थे। हालत बिगड़ने पर उन्हें इलाज के लिए दिल्ली के मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां डॉक्टरों ने मरीज के लिए एमफोटेरिसिन बी-50 एमजी इंजेक्शन की 75 डोज लिखी थीं। रत्नाकर के अनुसार मार्केट में इंजेक्शन उपलब्ध नहीं था। ऐसे में राजेश बंसल के परिवार ने मदद मांगी थी। दोस्त के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन तलाशने के लिए रत्नाकर भी प्रयास कर रहे थे। मेडिसिन मार्केट में भी पता किया गया था। इस दौरान रत्नाकर को एक व्हाटसएप मैसेज मिला था। जिसमें इंजेक्शन उपलब्ध कराए जाने का दावा किया गया था।
रत्नाकर के अनुसार हरदोई मल्लावां निवासी अवनीश कुमार और रायबरेली महाराजगंज निवासी आशीष कुमार ने सात जून को उनके घर आकर मुलाकात भी की थी। जिसके बाद ही रत्नाकर रुपये देने को तैयार हुए थे। 75 डोज की कीमत 11 लाख 75 हजार रुपये बताई गई थी। बातचीत के बाद दस लाख में इंजेक्शन दिलाने के लिए दोनों लोग तैयार हो गए थे। रत्नाकर ने उधार लेकर रुपये आशीष और अवनीश को दिए थे। इसके बाद भी उन्हें इंजेक्शन नहीं मिले थे। आरोपियों को फोन करने पर वह लोग टाल मटोल करते रहे। इस बीच 28 जून को राजेश बंसल की इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके बाद रत्नाकर ने आशीष और अवनीश से रुपये वापस मांगे। लेकिन वह लोग रुपये देने को तैयार नहीं हुए। दबाव बनाने पर उन्हें चेक दिए गए थे। जो बाउंस हो गए। सारे प्रयास विफल होने पर रत्नाकर ने एसीपी गोमतीनगर श्वेता श्रीवास्तव से मुलाकात कर उन्हें घटना की जानकारी दी थी। जिसके बाद अवनीश और आशीष के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है।