न्यूयार्क। म्यांमार पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति (TS Tirumurti) ने बयान दिया। भारत ने म्यांमार पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर वोटिंग से खुद को अलग कर लिया। भारत का कहना है कि प्रस्तावित मसौदे से यह असहमत है और मामले में शांतिपूर्ण समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय प्रयासरत है और इसलिए पड़ोसी होने के नाते ‘रचनात्मक दृष्टिकोण’ महत्वपूर्ण है। इस मसौदा प्रस्ताव को 119 देशों का समर्थन हासिल है जबकि बेलारुस इसके विरोध में है वहीं भारत के साथ 34 और देश हैं जिन्होंने वोटिंग नहीं की।
संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए स्थायी राजदूत ने कहा कि म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली को लेकर भारत की ओर से प्रयास जारी रहेगा और वहां की जनता को आकांक्षाओं और आशाओं का सम्मान दिलाने की कोशिश में कमी नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा, ‘रखाइन प्रांत से विस्थापित रोहिंग्या समुदाय की वापसी के मसले के समाधान को लेकर भी भारत प्रयासरत है।’
इस मसौदे पर वोट नहीं देने के भारत के फैसले पर स्पष्टीकरण देते हुए उन्होंने कहा, ‘पारित मसौदे में भारत के विचार परिलक्षित नहीं हो रहे हैं। हम यह दोहराना चाहेंगे कि यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकालने के लिए तैयार है तो इसमें म्यांमार के पड़ोसी देशों और क्षेत्रों के परामर्शी और रचनात्मक दृष्टिकोण को अपनाना महत्वपूर्ण है।’
बता दें कि UNGA ने म्यांमार पर एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया था कि 8 नवंबर, 2020 के आम चुनाव के नतीजों के जरिए आम लोगों की इच्छा का म्यांमार के सशस्त्र बलों को सम्मान करना चाहिए ताकि देश में इमरजेंसी के हालात खत्म हों और लोगों के मानवाधिकार को सम्मान मिल सके। इस मसौदे पर 119 देशों ने वोटिंग में सहमति (हां) दी वहीं बेलारूस ने असहमति (नहीं) जताई। इसके अलावा भारत, चीन और रूस समेत 35 अन्य देशों ने वोटिंग से किनारा कर लिया।
म्यांमार पर पांच सूत्रीय सहमति और आसियान की पहल का संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी दूत तिरुमूर्ति ने स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘हमारे बीच की राजनयिक गतिविधियों का मकसद इन प्रयासों को और मजबूत करना होगा। हम हिरासत में लिए गए नेताओं की रिहाई और कानून को बरकरार रखने का आह्वान करते हैं।