05 सितम्बर 1962 से डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को देश भर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है । शिक्षक दिवस यानी गुरु का दिवस । लेकिन आज के दिन को सही परिभाषित किया है नोएडा के निठारी गाँव मे रहने वाले 17 वर्षीय सतीश ने जिसने बीडा उठाया झुग्गियों में रहने वाले तमाम उन बच्चों के भविष्य को संवारने का जिनके नसीब शायद पाठ्शाला जाना लिखा ही नहीं था । आइए जानते सतीश से ही उसके निर्णय के बारे में पेश है टुडे न्यूज़ इण्डिया से सतीश की खास बातचीत के कुछ अंश
12 वी की पढ़ाई करने वाले सतीश से कुछ नन्ने मुन्ने बच्चों को यू भटकना गवारा नहीं गुजरा और उसने उनका भविष्य सवारने की ठानी । टुडे न्यूज़ इण्डिया से बात करते हुए सतीश ने बताया कि जब वो घर के पास ही एक पार्क में टहलने आया करता था तो उसे कुछ गरीब बच्चे पार्क में खेलते हुए मिलते थे । उन्हें देख कर उससे रहा नहीं गया और उसने उनको पढ़ाने का मन बनाया । 4 बच्चों से शुरुवात करने वाले सतीश की पाठशाला में करीब 250 बच्चे पड़ने आते हैं जो झुग्गियों में रहते हैं । वहीँ सतीश का कहना है कि यदि 12वी में उसके 5-7 नंबर कम भी आये तो उसे परवाह नहीं है बस इन बच्चों का भविष्य सुधरना चाहिए ।
सतीश की पाठशाला में पड़ने वाले बच्चों पर अगर सरकारें ध्यान दें तो इनमें से भी डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन , अब्दुल कलाम जैसी महान प्रतिभाओं को जन्म दिया जा सकता है । शायद आज के दिवस के सही माईने हमे सतीश ने ही समझाए हैं । टुडे न्यूज़ इण्डिया सतीश के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है और उसके इस मिशन की सरहाना करता है ।