नीरज शर्मा की खबर
अहोई माता की पूजा कर बच्चों की मांगी लंबी उम्र की दुआ
जिलेभर में माताओं ने व्रत रखकर की पूजा-अर्चना
बुलंदशहर। जिलेभर में अहोई अष्टमी का त्योहार श्रद्धा और उल्लास पूर्वक मनाकर माताओं ने व्रत रख बच्चों की दीर्घायु की कामना कर पूजा अर्चना की। साथ ही एक-दूसरे को अहोई की कहानी सुनाई और सूर्यदेव को जल चढ़ाया। अहोई अष्टमी व्रत के बाद दीपावली का शुभारंभ हो गया।
जनपदभर में रविवार को अहोई अष्टमी पर महिलाओं ने बच्चों की दीर्घायु के लिए व्रत रखकर मिट्टी के बर्तनों में शील बताशे भरे। अहोई माता की विशेष पूजा अर्चना की। साथ ही शाम के समय महिलाओं ने अनेक प्रकार के व्यंजन बना बच्चों को खिलाए। वहीं, अहोई अष्टमी को लेकर बाजारों में काफी चहल-पहल रही। जानकारी के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर अहोई माता की पूजा का विधान है। शास्त्रों के अनुसार अहोई अष्टमी व्रत उदय कालिक एवं प्रदोष व्यापिनी अष्टमी को करने का विधान है। अहोई अष्टमी व्रत का संबंध महादेवी पार्वती के अहोई स्वरूप से है। अहोई अष्टमी का व्रत संतान सुख व संतान की कामना के लिए किया जाता है। इस दिन निसंतान दंपत्ति को भी संतान की कामना के लिए अहोई अष्टमी के व्रत का विधान हैं। मान्यता है कि जो मां अहोई माता का पूजन करती है उसके बच्चे की लंबी उम्र होती है और स्वस्थ रहता है। ऐसे में माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए श्रद्धा के साथ अहोई माता का पूजन करती हैं। इसी को लेकर जगह-जगह और घरों में माताओं ने अहोई माता की पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही घर की बुजुर्ग महिलाओं द्वारा अहोई माता की कथा सुनी गई। औरंगाबाद निवासी अर्चना शर्मा ने बताया कि अहोई पूजन के लिए शाम के समय घर की उत्तर दिशा की दीवार पर गेरू से आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। उसी के पास सेह तथा उसके बच्चों की आकृतियां बनाई जाती हैं। कई समृद्ध परिवार इस दिन चांदी की अहोई बनवा कर पूजन भी करते हैं। चांदी की अहोई में दो मोती डालकर विशेष पूजा भी की जाती है। साथ ही पूजन के समय कलश स्थापना कर भगवान गणेश की पूजा की जाती है उसके बाद अहोई माता की पूजा कर उन्हें दूध, शक्कर और चावल का भोग लगाया जाता है। इसके बाद अहोई माता की कथा सुनी और कही जाती है।