सुशील त्यागी
खबर यूपी के चंदौली से है…..जहां एक तरफ पूरा देश कोरोना के चपेट में था लेकिन सरकार के अथक प्रयास से धीरे धीरे कोरोना पर देश ने विजय पायी लेकिन इस कोरोना महामारी के चलते सब काम ठप हो गए थे। चाहे देश की अर्थव्यवस्था हो या प्राइवेट सेक्टर हो या शिक्षण का कार्य हो सारे विकाश कार्य ठप हो गए थे। यहाँ तक कि बच्चों की पढ़ाई भी ऑनलाइन कराई जा रही है। ताकि बच्चों को कोरोना जैसी महामारी से दूर रखा जा सके। जैसे जैसे कोरोना के केस कम हुए सरकारी विभागों में काम काज सुरु कर दिया गया। सरकारी स्कूलों को को भी 01 जुलाई से खोलने के आदेश जारी किए गए की विद्यालय में बच्चे नहीं आएंगे लेकिन स्कूल के सभी अध्यापक कोविड के नियमों का पालन करते हुए स्कूल में सुबह 08 बजे से दोपहर 02 बजे तक मौजूद रहकर एमडीएम के कन्वर्जन कास्ट का काम बच्चों को खाद्यान वितरण, डायस फीड कराना, अकॉउंट वेलिडेशन, बच्चों को ई पाठशाला के माध्यम से सभी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ते हुए ऑनलाइन पढ़ना। वहीँ जिन बच्चों के पास मोबाइल नहीं है उन बच्चों को मुहल्ला पाठशाला के जरिए पढ़ाने का भी सरकार का आदेश है।सरकार बच्चों के भविष्य को लेकर निरंतर प्रयासरत है।लेकिन कुछ भ्रष्ट अध्यापक सरकार के मंसा को पलीता लगा रहे हैं।
वही संबंध में अधिक जानकारी देते हुए हमारे चंदौली संवाददाता कार्तिकेय पांडेय ने बताया कि यह पूरा मामला चकिया तहसील क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय का है जहाँ अध्यापकों की बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई जहां अध्यापक सरकारी आदेश के बाद भी समय से नहीं पहुँचते हैं। और जो विद्यालय पहुँचते भी है तो विद्यालय में ही चैन की नींद सोते हैं । उनको बच्चों के भविष्य से कोई लेना देना नहीं है। वहीं तहसील में कोई भी विद्यालय ऐसा नहीं है जहाँ अध्यापकों द्वारा कोविड नियमों का पालन किया जाता हो। जब गुरुजी खुद नियम तोड़ रहे हैं तो बच्चों को क्या सिखाएंगे।
जब इस मामले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि समय समय पर खण्ड शिक्षा अधिकारी एवं जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा विद्यालय का निरीक्षण किया जाता है। अगर ऐसी कोई लापरवाही शिक्षकों के द्वारा पाई जाती है तो उसकी जाँच कर दोषियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाएगी।