बरेली। आमतौर पर कहा जाता है कि औलाद बुढ़ापे का सहारा होती है। यही सोचकर माता पिता अपने बच्चों की परवरिश करने में तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करते हैं, लेकिन कभी कभी यह बुढ़ापे की लाठी सहारा बनने के बजाय उनकी परेशानी का सबब बन जाती है। कुछ ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के जनपद पीलीभीत के बीसलपुर में सामने आया है। एक बेटा अपनी बूढ़ी मां को 20 दिन पहले घर में ताला बंद कर चला गया। वृद्धा के चीख पुकार करने पर आसपास के लोग खिड़की के जरिये खाने पीने की चीजें मुहैया कराते रहे. लेकिन अचानक वृद्धा की तबीयत बिगड़ गई। लोगों ने पुलिस को सूचना दी। जिसके बाद पुलिस ने ताला तोड़कर वृद्धा को बाहर निकालकर इलाज के लिए जिला अस्पताल भिजवाया।
रिश्तों को शर्मसार करने का यह मामला नगर के मुहल्ला दुर्गाप्रसाद में रामलीला मैदान के नजदीक बने आसरा आवासीय कालोनी का है। नगर के मुहल्ला दुबे में रहने वाली लल्ली देवी पत्नी स्वर्गीय श्रीकृष्ण आसरा आवासीय कालोनी के आवास संख्या आइ-एक में अपने पुत्र पंकज के साथ रह रही हैं। लल्ली देवी को लगभग 20 दिन पूर्व उनका पुत्र पंकज आवास में बंद कर बाहर से ताला डालकर चला गया। जिसके बाद वह अभी तक वापस नहीं आया। इस दौरान वृद्ध मां भूख से तड़पने लगी जिसके पश्चात जब उसने खिड़की से उधर से निकलने वाले लोगों से आपबीती बताते हुए खाने की गुहार की।
तब लोगों ने खिड़की के जरिये खाना कमरे में डाल देते थे। जिससे वह अपना जीवन चला रही थी। इसी दौरान उसकी हालत बिगड़ गई। वह कमरे में असहाय होकर कई दिन से उठ नहीं पा रही। इसी दौरान कमरे से जब लोगों ने वृद्धा को देखा तो कमरे से दुर्गंध आ रही थी। जिसके पश्चात आसपास के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने आवास का ताला तुड़वाकर वृद्धा को गंभीर हालत में बाहर निकलवाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा। जहां प्राथमिक उपचार के बाद हालत नाजुक होने के कारण जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया है।