नई दिल्ली। विशेष न्यायालय से आदेश हासिल करने के बाद भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाला बैंक कंसोर्टियम अब कभी भी विजय माल्या की जब्त संपत्तियों को बेचकर कर्ज में फंसी अपनी रकम निकाल सकता है। बैंकों ने माल्या को उसकी किंगफिशर एयरलाइंस के लिए कर्ज दिया था। लेकिन उसने वह कर्ज वापस नहीं किया। आरोप है कि शराब कारोबारी माल्या ने कर्ज का वह धन गैरकानूनी तरीके से विदेश भेज दिया।
मुंबई की प्रिवेंशन ऑफ मनी लाड्रिंग एक्ट मामलों की विशेष अदालत ने हफ्ते भर के भीतर दो आदेश पारित कर माल्या के आर्थिक साम्राज्य की जड़ें हिला दीं। इन आदेशों में माल्या की 5,646 करोड़ रुपये की जब्त संपत्ति को बेचकर कर्ज की रकम निकालने का बैंकों को अधिकार दे दिया गया। 6,900 करोड़ रुपये की कुल कर्ज राशि में स्टेट बैंक का सबसे बड़ा हिस्सा 1,600 करोड़ रुपये का है।
ब्याज और अन्य देनदारियां मिलाकर यह राशि अब करीब 9,000 करोड़ रुपये की हो गई है। विशेष अदालत के आदेश के आधार पर बैंक अब माल्या की जब्त संपत्ति को कब्जे में लेकर उसकी बिक्री और नीलामी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे। विशेष अदालत का फैसला आने पर उसके वकीलों ने बुधवार को विरोध जताया था। लेकिन दोनों आदेशों को चुनौती देने की बात अभी नहीं कही गई है। भगोड़ा घोषित हो चुका माल्या इस समय ब्रिटेन में जमानत पर है। ब्रिटिश कोर्ट में उसके प्रत्यर्पण का मामला लंबित है।
पिछले साल माल्या ने विभिन्न भारतीय बैंकों को “सार्वजनिक पैसे” का 100 प्रतिशत वापस भुगतान करने की बात कही थी, उसने सरकार से उसके प्रस्ताव को स्वीकार करने का आग्रह भी किया था। माल्या अप्रैल 2019 में अपनी गिरफ्तारी के बाद से प्रत्यर्पण वारंट पर यूके में जमानत पर हैं।