Home राज्‍य झारखंड सदाचारी गृहस्थ से ही होगा चारों आश्रमों का पोषण : श्रीभागवतानंद गुरु
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सदाचारी गृहस्थ से ही होगा चारों आश्रमों का पोषण : श्रीभागवतानंद गुरु

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गांव के विकास एवं सम्पन्नता के लिये कर्मकांड

झारखंड राज्य के पलामू जिला, हरिहरगंज स्थित कोशडिहरा गांव में आज से ग्रामदेवी प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ प्रारम्भ हो रहा है जिसमें त्रिदिवसीय धर्मोपदेश सत्र का भी आयोजन किया गया है।

दोपहर ग्यारह बजे गांव के ढाई सौ से अधिक ग्रामीणों ने यज्ञ के आचार्य श्रीनिवास मिश्र के नेतृत्व में विशाल कलशयात्रा निकाली। सायंकाल को ब्राह्मणों के द्वारा गांव की सम्पन्नता और विकास के लिए पुण्याहवाचन आदि वैदिक कर्मकांड किया गया।

तपस्या से अधिक पुण्यबल गृहस्थों के सदाचरण में होता है

कलशयात्रा
कलशयात्रा

त्रिदिवसीय आयोजन में धर्मोपदेश हेतु क्षेत्र में पधारे हुए श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड श्रीभागवतानंद गुरु ने अपने प्रथम उद्बोधन में सनातनी जनमानस को अपनी धर्मसभा में सम्बोधित करते हुए व्यासमंच से यह कहा कि तपस्वियों की तपस्या से अधिक पुण्यबल गृहस्थों के सदाचरण में होता है।

गृहस्थों के ही कारण समाज की एकता और संतुलन स्थापित होते हैं। संन्यासी अथवा ब्रह्मचारी भी भिक्षाटन हेतु गृहस्थ आश्रम में स्थित जनों की ओर ही देखते हैं। यदि गृहस्थ आश्रम के लोग अपने जीवन में सदाचरण का अवलम्बन कर लें, धर्म का पालन करने लगें तो शेष सभी आश्रमों को स्वतः बल मिल जाएगा।
गृहस्थ आश्रम में ही किसी भी ब्रह्मचारी या संन्यासी का जन्म होता है, इसीलिए गृहस्थों को विशेष रूप में धर्मनिष्ठ बनना चाहिए।

जीवन मे सत्संग का बड़ा महत्व

गृहस्थ का महत्व
गृहस्थ का महत्व

श्रीभागवतानंद गुरु ने ब्रह्मर्षि वशिष्ठ और विश्वामित्र के प्रसंगों का उदाहरण देते हुए यह भी कहा कि जीवन में सत्संग का बहुत बड़ा महत्व है। मनुष्य की बुद्धि बहुत शीघ्रता से संगति को ग्रहण करती है। मनुष्य का मन ही उसका शत्रु भी है और मित्र भी। यदि अच्छी सलाह दे तो वही मित्र है और बुरी सलाह दे तो वही शत्रु भी है। इसीलिए सदैव सत्संग का आश्रय लेना चाहिए ताकि उसके मनन से मन में सदैव सत्प्रेरणा मिलती रहे।

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मंदिर का जीर्णोद्धार

इस आयोजन में आस पास के कई गांवों के लोगों की सहभागिता बन रही है। आगामी दो दिनों तक सायं को धर्मोपदेश का कार्यक्रम चलता रहेगा। यज्ञ के मुख्य यजमान बने श्री चन्द्रभूषण मिश्र ने बताया कि गांव में ग्रामदेवी का मंदिर बहुत जीर्ण हो गया था जिसके बाद सबों के सहयोग से उसका जीर्णोद्धार कराया गया। यह आयोजन उसी नवीन मन्दिर की प्रतिष्ठा हेतु रखा गया है।

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