नीरज शर्मा की रिपोर्ट
फर्जीवाड़े को छुपाने के लिए स्टॉक रजिस्टर में किया जा रहा हेरफेर
आमजन की जांच को आई एंटीजन किट बाजार में बेचे जाने का मामला
बुलंदशहर। कोरोना जांच को आई एंटीजन किट जांच में फर्जीवाड़ा निकलकर सामने आ रहा है। विभागीय कर्मियों ने किट को सरकारी खरीद से महंगी दर पर बाजार में बेचा था। वहीं, फर्जीवाड़े को छुपाने के लिए सीएमएसडी स्टोर के रजिस्टर में स्टाक का बैलेंस सही किया गया। इसके बाद भी स्टाक कम निकल रहा है।
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा शासन के निर्देश पर मार्च और अप्रैल माह में कोरोना की जांच के लिए सर्वप्रथम आरटीपीसीआर जांच की गईं। कोरोना संक्रमण की रफ्तार बढऩे पर मई माह से जांच का दायरा बढ़ाने के लिए रैपिड एंटीजन किट से कोरोना की जांच की गई। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने करोड़ों रुपये की एंटीजन किट खरीदीं। सरकारी चिकित्सालयों को छोड़ मई-जून माह में निजी अस्पतालों के पास कोरोना की जांच के लिए कोई साधन नहीं था। बाजार में कोरोना जांच किट की डिमांड और कोरोना के खौफ को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के मास्टरमाइंड दो फार्मासिस्ट और कुछ लैब टेक्नीशियन ने खूब भुनाया। मई-जून माह में जांच में ड्यूटी देने वाले एक कर्मी ने शुरूआत के दो महीने में करीब छह हजार किट सीएमएसडी स्टोर के स्टाक में घटने की बात कही। जिसे कोरोना जांच में लगे लैब टेक्नीशियन से पूरा कराया गया। इसके लिए ही कोरोना जांच रजिस्टर में फर्जीवाड़ा किया गया। वहीं, फर्जीवाड़ा कर कम की गईं एंटीजन किट बाजार में एक हजार रुपये से पांच हजार रुपये तक बेच दी गई। बेची गई किट के रुपयों के बंदरबांट को लेकर कर्मियों में मतभेद होने पर मामला खुला।
एक टेक्नीशियन है लैब संचालक
स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के अनुसार गुमनाम पत्र में जिन लैब टेक्नीशियन पर एंटीजन किट बेचने का आरोप है उनमें से एक की जहांगीराबाद में पैथोलाजी लैब संचालित है। हो सकता है लैब टेक्नीशियन ने लैब पर भी किट का प्रयोग किया हो। वहीं, संबंधित लैब टेक्नीशियन ने विभाग में संविदा की नौकरी के साथ लैब का संचालन करने में काफी नाम कमाया है।
हेरफेर करने के बाद भी घट रही किट
स्वास्थ्य अफसरों के अनुसार गत माह तक स्टाक में करीब ८२०० किट कम थी। मामला उजागर होने पर रजिस्टर में हेरफेर कर फर्जीवाड़े को छुपाने का प्रयास किया गया। इसके लिए स्टाक रजिस्टर में काफी हेरफेर की गई, और करीब ३००० किट का स्टाक पूरा हो गया। वहीं, फर्जीवाड़े का सच सामने आ सके और मामले को दबाने का प्रयास ना हो इसलिए ही शिकायतकर्ता ने प्रशासनिक अधिकारी से जांच की मांग की थी।