नोएडा। केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) ने एडफिस कंपनी को सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट बने दोनों टावरों को गिराने के लिए सुझाव दिया है। सीबीआरआइ ने कहा कि दोनों टावरों को गिराने से पहले 200 मीटर का एरिया (15 टावरों) को खाली कराना होगा। फाइनल प्रस्तुतीकरण दस जनवरी को दिया जाएगा। उसी दिन तय हो जाएगा कि टावरों को कब ध्वस्त किया जाएगा।
प्रपोजल के अनुसार एडफिस कंपनी ने साढ़े छह माह का समय सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट बने सियान और एपेक्स टावरों के ध्वस्तीकरण के लिए मांगा है। इसमें 15 दिन एक्शन प्लान को तैयार करने, तीन माह एक्शन प्लान लागू करने और ध्वस्तीकरण में लगेगा। तीन माह ध्वस्त टावरों का मलबा हटाने और स्थान को साफ करने में लगेगा। दोनों टावरों को एक्सप्लोसिव से गिराने से पहले एमराल्ड कोर्ट के 15 टावरों में बने 650 फ्लैट में रहने वाले 2500 से अधिक लोगों से फ्लैट खाली करना होगा। ध्वस्तीकरण के बाद सुरक्षा और स्ट्रक्चर जांच के बाद सभी लोगों को उनके फ्लैटों में वापस भेज दिया जाएगा।
बता दें कि 16 व 17 नंबर टावर को ही ध्वस्त किया जाना है। ले आउट प्लान के तहत इन दोनों टावरों की दूरी अन्य टावरों से 9 से 18 मीटर ही है। इमारतों को ध्वस्त करने से पहले हवा का डायरेक्शन काफी महत्वपूर्ण होगा। कोशिश रहेगी कि जब इमारतों को ध्वस्त किया जाए तो हवा की दिशा अन्य टावरों की तरफ नहीं बल्कि उसके विपरीत हो। ताकि 15 से 20 मिनट तक बनने वाला हवा के गुबार का असर टावरों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर न पड़े।
कंपनी दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग में 108 मीटर ऊंची इमारत को ध्वस्त कर चुकी है। इस इमारत की दूसरी इमारत से दूरी आठ मीटर थी। जोकि काफी पेचीदा काम था। यहां भी यही स्थिति है। इसके अलावा कंपनी कोच्चि में भी इमारत को ध्वस्त कर चुकी है।
इन सुझाव पर होगा अमल
– इमारतों को ध्वस्त करने से लेकर मलबा हटाने की टाइमलाइन
– इमारतों को ध्वस्त करने से पहले ट्रैफिक डायवर्जन, विद्युत निगम और प्रदूषण विभाग से एनओसी
– डस्ट रिएक्शन और विंड डायरेक्शन, इमारत की क्षमता
– हेल्थ मानिटरिंग, साउंड वेव, वाइब्रेशन आदि को भी समझना होगा ताकि दूसरी इमारतों पर इसका असर न पड़े।