नई दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक से शीर्ष 1,000 सूचीबद्ध कंपनियों के लिए लाभांश वितरण नीति बनाना अनिवार्य कर दिया है। अपने निदेशक बोर्ड की बैठक के बाद सेबी ने कहा कि वर्तमान में शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों के लिए यह बाध्यता थी, जिसे बढ़ाकर 1,000 किया गया है। इसका मकसद कॉरपोरेट गवर्नेस और डिसक्लोजर मानकों को मजबूती देना है।
निदेशक बोर्ड में लिए गए फैसलों के बारे में बताते हुए सेबी ने कहा कि कंपनियों को नतीजे जाहिर करने के दिन बोर्ड की बैठक खत्म होने के 30 मिनट के भीतर वित्तीय नतीजे बता देने होंगे। वहीं, कंपनियों में जोखिम प्रबंधन समिति (आरएमसी) के गठन से संबंधित प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई है। सूचीबद्ध कंपनियों को नाम बदलने के लिए शेयर बाजारों से मंजूरी लेने की बाध्यता भी खत्म कर दी गई है।
कंपनियों में कॉरपोरेट गवर्नेस को मजबूती देने के लिए सेबी ने लिस्टिंग ऑब्लिगेशंस एंड डिसक्लोजर रिक्वायरमेंट्स रेगुलेशंस (एलओडीआर) के कई प्रविधानों में बदलाव को मंजूरी दे दी। वहीं, कंपनियां अपने वित्तीय नतीजों के बाद विश्लेषकों के साथ टेलीफोन या वीडियो के माध्यम से जो बातचीत करती हैं, उसकी रिकॉर्डिग उन्हें 24 घंटों के भीतर सार्वजनिक करनी होगी।