रुद्रपुर : ऊधम सिंह नगर जिले में बंगाली समाज के करीब तीन लाख लोग रहते हैं। इनमें सितारगंज, गदरपुर व रुदपुर ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां पर बंगाली समुदाय का वोट निर्णायक भूमिका में रहता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसी नब्ज को पकड़ते हुए विस्थापित बंगाली समाज के जाति प्रमाण पत्र पर लंबे अरसे से लिखे जाने वाले पूर्वी पाकिस्तान व बांग्लादेश शब्द को हटा दिया है। पूर्वी पाकिस्तान व बाग्लादेशी लिखे जाने को समाज कलंक मानता था। इस प्रमुख मांग के पूरा होने से समाज का रुझान भाजपा की ओर बढ़ा है, तो भाजपा भी इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती।
आजादी के बाद बंगाली समाज के लोगों को दिनेशपुर, सितारगंज, रुद्रपुर, शक्तिफार्म में बसाया गया। इसके बाद 1971-72 में भी बांग्लादेश से आए लोगों को बसाया गया। वर्तमान में राज्य में इनकी करीब तीन लाख की आबादी है। रुद्रपुर विस क्षेत्र में ही 1.85 लाख में से करीब 40 हजार बंगाली समाज के वोटर हैं। इसी तरह सितारगंज में करीब 1.10 लाख में से 42 हजार और गदरपुर में 1.27 लाख में से 24 हजार मतदाता इसी समाज से हैं। यही वजह है कि बंगाली समाज को लुभाने के लिए सभी दल कोशिश करते हैं। इसके अलावा किच्छा, नानकमत्ता, खटीमा व काशीपुर में भी समाज के लोग रहते हैं।
अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाने का भरोसा
वहीं अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बंगाली समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व व भारत सरकार से वार्ता का भरोसा दिया है। इससे बंगाली समुदाय की उम्मीद भाजपा से और बढ़ गई है। इसके अलावा बंगाली बाहुल्य क्षेत्र शक्तिफार्म को सीधे हाईवे से जोडऩे वाली सिरसा मोड़-शक्तिफार्म का निर्माण, दिनेशपुर में शहीद खुदीराम बोस के नाम से स्टेडियम का निर्माण सरकार कर रही है। शक्तिफार्म को उपतहसील बनाने की घोषणा भी की है।
ये हैं समाज की मांगें
- बंगाली समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा देने
- यूएस नगर के बंगाली बाहुल्य क्षेत्रों के विद्यालयों में बांग्ला शिक्षा की पढ़ाई स्थायी रूप से संचालित करना