देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI ने सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में RC 217 2018 A 003 में 18 मार्च, 2019 को एक उत्तर भरकर उपेंद्र राय को क्लीन चिट दे दी। बता दें कि सीबीआई ने अदालत में मजबूती से कहा कि उन्हे उपेंद्र राय द्वारा पैसों के लेन-देन के मामले में कोई गलत लाभ उठाया जाना नहीं मिला है। इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग का सवाल ही नहीं उठता।
जानिए पूरा मामला
आखिरकार देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी ने भी उपेंद्र राय को क्लीन चिट दे दी है । बता दें कि सीबीआई की विशेष अदालत में सीबीआई ने उपेंद्र राय को पाक साफ करार दिया। सीबीआई ने कहा कि उन्हे उपेंद्र राय पर लगे मनी लॉंन्ड्रिंग के आरोप की जांच में ऐसा कुछ भी नहीं मिला जिससे आरोप साबित हो। सीबीआई ने कहा कि उपेंद्र राय द्वारा पैसों के लेन-देन के मामले में गलत लाभ अर्जित नहीं किया गया है इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग का सवाल उठता ही नहीं है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी ईडी मामले में उपेंद्र राय को दी थी जमानत
बता दें कि इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भी ईडी मामले में उपेंद्र राय को जमानत देते हुए यह अवलोकन किया था कि उपेंद्र राय द्वारा किए गए हर एक लेन-देन को पूरी लगन के साथ किया गया है और कर अनुपालन का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होने अपनी आईटीआर में पाई-पाई का हिसाब बताया है। अत: यह कहना उचित है कि कभी कोई संदिग्ध लेनदेन हुआ ही नही है।
कौन हैं उपेंद्र राय
16 जनवरी 1982 को जन्मे उपेंद्र राय की पहचान एक पत्रकार और लेखक के तौर पर है। उपेंद्र राय का जन्म गाजीपुर के शेरपुर गाँव में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के गाँव शेरपुर और इंटर कॉलेज मोहम्मदाबाद से की इसके बाद उन्होने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 1997 में वह सहारा न्यूज नेटवर्क से जुड़े और संवाददाता के तौर पर पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया। अक्टूबर, 2002 में वह स्टार न्यूज (अब एबीपी न्यूज) में शामिल हुए, फिर अगस्त, 2004 में वह नेटवर्क 18 में शामिल हुए, जहां उन्होंने सीएनबीसी आवाज़ / सीएनबीसी टीवी 18 की लॉन्चिंग टीम के सदस्य के रूप में काम किया। बाद में वह अक्टूबर, 2005 में प्रमुख संवाददाता के रूप में फिर से स्टार न्यूज़ (एबीपी न्यूज़) में शामिल हो गए, जहाँ उन्होंने कराधान, व्यवसाय, राजनीति और मनोरंजन से जुड़ी कहानियों को पेश किया। नवंबर, 2009 में वह संपादक और समाचार निदेशक के रूप में सहारा न्यूज़ नेटवर्क में चले गए। बाद में उन्होने तहलका के सीईओ और प्रधान संपादक के रूप में काम करना शुरू किया। इसके बाद उन्होने अपना मीडिया हाउस ‘द प्रिंटलाइन मीडिया ग्रुप’ के नाम से शुरू किया।