जम्मू-कश्मीर पुलिस क्या कहती है?
हालांकि, जम्मू और कश्मीर पुलिस इस बात से इनकार करती है कि घाटी में स्थानीय भर्ती बढ़ी है. विजय कुमार IGP (कश्मीर) ने बताया, ‘2020 में अब तक 79 युवा विभिन्न आतंकी वारदातों में शामिल पाए गए हैं, जबकि पिछले साल 2019 में ऐसे 135 लोग आतंकी संगठनों में शामिल हुए थे.’ उनके अनुसार, आतंकवादी समूहों में शामिल होने वाले 79 स्थानीय किशोरों में से 38 मारे गए हैं और 12 को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने कहा, ‘अब तक 29 स्थानीय आतंकवादी, जो इस साल भर्ती हुए हैं, घाटी में काम कर रहे हैं.’
इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व संयुक्त निदेशक अविनाश मोहनाने ने कहा, ‘अकेले आंकड़े जमीनी हकीकत को बयां नहीं कर सकते हैं. जो स्थानीय आतंकी मारे जा रहे हैं वे प्रशिक्षित नहीं हैं और न ही उनके पास बहुत ही आतंकी साजो-सामान है.’
श्रीनगर की इन घटनाओं ने बढ़ाई चिंता
इस बीच, जम्मू कश्मीर पुलिस ने तीन हार्ड-कोर हिजबुल मुजाहिदीन के गुर्गों- ज़ाकिर मूसा, रियाज़ नाइकू और बुरहान कोका का नाम लिया है- सभी स्थानीय लेकिन खूंखार आतंकवादी कई जघन्य कृत्यों के लिए जिम्मेदार हैं, जो दक्षिण कश्मीर में मुठभेड़ों में मारे गए. गृह मंत्रालय में खतरे की घंटी बजने का एक और कारण श्रीनगर में मैदानी इलाकों में होने वाली मुठभेड़ है.
एमएचए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘पहले इस तरह के मुठभेड़ पहाड़ी इलाकों में होते थे, लेकिन अब मैदानी इलाकों में भी स्थानीय आतंकवादियों की मौजूदगी है और यह चिंता का कारण है.’ उनके अनुसार, सशस्त्र आतंकवादी अब श्रीनगर का लगातार दौरा कर रहे हैं. उन्होंने बताया, ‘दो दिन पहले, लश्कर के आतंकवादी -इश्फाक रशीद और ऐजाज भट- श्रीनगर में मारे गए थे. यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है,’ उन्होंने बताया कि मई में पहले से, हिज्बुल के एक शीर्ष आतंकवादी जुनैद सेरई को भी श्रीनगर में नवाकदाल में मार दिया गया था.
डीजीपी दिलबाग सिंह ने NDTV को बताया, ‘घाटी में ज्यादातर ऑपरेशन क्लीन ऑपरेशन थे और किसी भी तरह के कॉलेटरल डैमेज की सूचना नहीं थी. हमने अंतिम संस्कार के जुलूस और बंदूक की सलामी के लिए भी रोक लगा दी है.’
गृह मंत्रालय की फैक्टशीट ने यह भी बताया है कि एक अहम उपलब्धि यह रही है कि आतंकवादी हिंसा में इस साल गिरावट देखी गई है. मध्य जुलाई तक के डेटा के अनुसार, इस साल केवल 21 आतंकवादी घटनाएं हुई हैं, जबकि 2019 में पिछले साल ऐसी 51 घटनाएं सामने आई थीं. यहां तक कि IED हमलों में भी कमी आई है. एक वरिष्ठ नौकरशाह ने बताया कि ‘इस साल अभी तक ऐसी केवल एक घटना हुई है जबकि पिछले साल IED के 6 मामले सामने आए थे.’