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नॉएडा में एक कूदा बीनने वाला व्यक्ति अब कंप्यूटर साइंस में कर रहा है बीटेक

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नोएडा| हालात कैसे भी हों, लेकिन ऊंची उड़ान भरने का हौसला है तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता है। सहारनपुर में कूड़ा बीनने वाले मनीष को पढ़ाई का मौका मिला तो उसने उम्दा प्रदर्शन किया। राजकीय इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट करने के बाद वह शहर के शारदा विश्वविद्यालय से बीटेक (कंप्यूटर सांइस) कर रहा है।

पढ़ाई पूरी करने के बाद मनीष का नौकरी करने का सपना है। उसकी इच्छा है कि वह अपने जैसे बच्चों को पढ़ाने में मदद करे। मनीष की पढ़ाई के बाद अब उसकी बस्ती के बच्चों में पढ़ने का रुझान बढ़ा है।

सहारनपुर जिले के इंदिरा नगर की स्लम बस्ती में रहने वाले मनीष कुमार को बचपन से पढ़ने-लिखने में रुचि थी, परंतु घर की माली हालत ठीक न होने से उसे बचपन से कूड़ा बीनने काम करना पड़ता था। मनीष के पिता हरीश फेरी लगाते हैं। मां सुनीता भी उसे काम में लगाए रखती थी, लेकिन मन पढ़ाई में लगता था। सामाजिक संस्था उड़ान इस बस्ती में पहुंची तो उसे बच्चे में पढ़ने की ललक दिखी। संस्था की ओर से सरकारी स्कूल में उसका छठी दाखिला कराया गया। मनीष ने यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में 64 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए। उसे लगा कि शायद अब उसे पढ़ने का मौका नहीं मिले।

शारदा विश्वविद्यालय ने दाखिला दिया : इस संस्था ने शारदा विश्वविद्यालय से संपर्क किया और मनीष के बारे में पूरी बात बताई। इसके बाद विवि के चांसलर पीके गुप्ता ने मनीष का दाखिला अपने यहां उसकी रुचि के अनुसार स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में कम्प्यूटर साइंस में करा दिया। गुप्ता ने कहा कि उनकी कोशिश रहती है कि किसी मेधावी की पढ़ाई में पैसा आड़े न आए। इसी को देखते हुए उसे दाखिला देकर हॉस्टल भी मुहैया कराया गया है।

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बस्ती में पढ़ने का चलन बढ़ा

मनीष ने बताया कि उसकी बस्ती में कोई पढ़ाई नहीं करता था। पढ़ने के नाम पर परिजन डांटते थे, लेकिन जब से उसे शारदा विश्वविद्यालय में दाखिला मिला है, तब से वहां के बच्चे पढ़ने के लिए तैयार हैं। परिजन भी उन्हें पढ़ने भेजते हैं। मनीष के पिता हरीश व मां सुनीता ने बताया कि उनके चार बच्चे हैं। मनीष की लगन देखकर कूड़ा बीनने वाले अन्य बच्चों में भी पढ़ने का चलन बढ़ा है। दूसरे बच्चे भी यह काम करने के अलावा पढ़ाई पर जोर दे रहे हैं, ताकि उनका जीवन मनीष की तरह संवर जाए।

घरवाले कर रहे थे शादी

एक समय ऐसा भी आया जब मनीष के परिवार वाले उसकी शादी के बारे सोच रहे थे। उसके मन में ख्याल आता था कि शादी हो गई तो फिर पढ़ नहीं पाएगा। इस वजह से शादी का ख्याल मन से त्याग दिया। मनीष ने बताया कि पढ़ाई करने के बाद नौकरी करेंगे। अपने जैसे बच्चों को पढ़ाने के लिए काम करेंगे। यदि वह किसी गरीब बच्चे को पढ़ सके तो यह उनकी उपलब्धि होगी।

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