उत्तर प्रदेश में निवेश के नाम पर हुए बाइक बोट घोटाले में जांच कर रही यूपी पुलिस की ईओडब्ल्यू को अब दूसरे राज्यों से अलग-अलग भाषाओं में मिल रही केस डायरी और एफआईआर मुसीबत का सबब बन गई है. लिहाजा ईओडब्ल्यू ने बाइक बोट घोटाले की पहली एफआईआर की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी है.
साल 2018 में बसपा नेता संजय भाटी ने 62,100 रुपए जमा करने पर 19765 रुपए हर महीने वापसी की स्कीम शुरू की. इस बाइक बोट स्कीम का नाम दिया गया. कंपनी में इस स्कीम से देश के विभिन्न राज्यों में करीब 2 लाख से अधिक लोगों से करीब 15 हजार करोड़ जमा करवाए और कंपनी भाग गई. लोगों ने एफआईआर दर्ज कराना शुरू किया.
पहली एफआईआर नोएडा के दादरी थाने में 12 जनवरी 2019 को दर्ज करवाई गई. यही पहली एफआईआर अब आर्थिक अपराध शाखा के लिए मुसीबत का सबब बन गई है. इस मामले में यूपी के बाहर हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, तेलंगाना समेत कई गैर हिंदी भाषी राज्यों में भी एफआईआर दर्ज हुई.
इस साल मई के महीने में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी एफआईआर को दादरी थाने में दर्ज हुई पहली एफआईआर के साथ जोड़ दिया जाए और जांच की जाए. सुप्रीम कोर्ट का यही आदेश ईओडब्ल्यू के लिए मुसीबत का सबब बन गया है. उत्तर प्रदेश में दर्ज 108 एफआईआर की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है.
देश भर में यूपी समेत अन्य राज्यो में करीब 150 एफआईआर दर्ज है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश कि पहली एफआईआर के साथ क्लब कर जांच कराने के आदेश से अब ईओडब्ल्यू को राजस्थान, तेलंगाना, महाराष्ट्र समेत कई अन्य राज्यों में दर्ज एफआईआर की भी जांच करनी पड़ रही है. तेलंगाना, महाराष्ट्र समेत कई राज्य में विवेचना की भाषा गैर हिंदी है.
इसकी वजह से ईओडब्लू को इनके पत्रावलियों को पढ़ने में दिक्कत आ रही है. वहीं अपने सीमित संसाधनों के चलते अन्य राज्यों में जाकर विवेचना करना भी ईओडब्लू के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है. आर्थिक अपराध शाखा के द्वारा की जा रही 108 मामला की विवेचना के लगभग मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है.
25 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं सिर्फ तीन आरोपी संजय भाटी की पत्नी दीप्ति बहल, भूदेव सिंह और विजेंद्र सिंह हुड्डा फरार हैं, जिनके ऊपर इनाम घोषित किया जा चुका है. डीजी ईओडब्लू आरके विश्वकर्मा का कहना है कि हमारे लिए सीमित संसाधनों में यूपी से बाहर जाकर गैर हिंदी भाषी पत्रावलियो से जांच करना मुश्किल हो रहा है.