Home Breaking News किसानों को महंगाई का बड़ा झटका: डीजल के बाद, अब डीएपी खाद के दाम में भी हुआ भारी इजाफा
Breaking Newsउत्तरप्रदेशराज्‍य

किसानों को महंगाई का बड़ा झटका: डीजल के बाद, अब डीएपी खाद के दाम में भी हुआ भारी इजाफा

Share
Share

लखनऊ। कोरोना महामारी के बाद से आसमान छूती महंगाई ने आम लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है। लगातार पेट्रोल, डीजल और गैस सिलिंडर की कीमतें बढ़ रही हैं। इसी बीच अब खेती में प्रयोग होने वाले उर्वरक के भी दाम बढ़ गए हैं। डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से पहले ही किसान परेशान थे कि अब उन पर महंगाई की दोहरी मार पड़ी है।

डीजल के बढ़ते दामों से परेशान किसानों को अब खाद खरीदने में भी अधिक धन खर्च करना पड़ेगा। डीएपी यानी डाय अमोनियम फास्फेट के दामों में 150 रुपये की बड़ी वृद्धि की गई है। बढ़े दामों की खाद उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में पहुंच रही है। निर्देश है कि डीएपी खाद की बिक्री प्रिंट रेट पर ही की जाए, ताकि पुरानी खाद किसानों को कम कीमत पर मिल सकेगी।

इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड यानी इफको ने डीएपी के दामों में पहली अप्रैल से बढ़ोतरी की है। किसानों को 50 किलोग्राम का पैकेट पहले 1200 रुपये में मिल रहा था, अब उन्हें इसी खाद पैकेट को खरीदने के लिए 1350 रुपये भुगतान करना होगा।

किसान खेती के कार्य में सबसे अधिक डीएपी खाद का ही उपयोग करते हैं, दाम बढ़ने से खेती की लागत बढ़ना भी तय है। ज्ञात हो कि इफको ने पहले भी खाद के दामों में बढ़ोतरी की थी लेकिन सरकार ने किसानों के हित में सब्सिडी बढ़ा दी थी इससे खाद की महंगाई का असर किसानों पर नहीं पड़ा था।

खाद के नोडल अधिकारी अनिल कुमार पाठक ने बताया कि प्रदेश भर में करीब दो लाख टन पिछला स्टाक उपलब्ध है उसे 1200 रुपये में ही बिक्री करने का निर्देश हैं, जबकि इधर पहुंच रही खाद की बोरियों पर 1350 रुपये प्रिंट किया गया है, किसानों को प्रिंट दर पर ही खाद बेची जाए।

See also  जानिए आलूबुखारा खाने के अचूक फायदे, आंखों की रोशनी बढ़ाने में होता है सहायक

यूरिया की कीमत ही नहीं बढ़ी, बल्कि बैग में पांच किलो माल भी कम हो गया है। 50 किलो की जगह यूरिया बैग में 45 किलो खाद आएगा। वहीं, यूरिया का 45 किलो का बैग 267 रुपये में मिलेगा, जबकि एनपीके खाद की कीमतें कंपनी व मिश्रण के अनुपात के हिसाब से अलग-अलग हैं।

सबसे ज्यादा डीएपी व यूरिया इस्तेमाल होता है। अब जायद फसलों का सीजन शुरू हो गया है। इसमें मूंग, उड़द, मक्का इत्यादि दलहन की फसलें होंगी। इनमें डीएपी नई रेट पर किसानों को खरीदना पड़ेगा। जुलाई में धान व बाजरा की बुआई के लिए खरीफ फसल में डीएपी का इस्तेमाल होता है।

बता दें डीजल की कीमत बढ़ने से किसान पहले ही परेशान हैं। किसान की खेती का ज्यादातर काम ईंधन पर निर्भर है। खेत की जुताई से लेकर कटाई और फसल को मंडी ले जाने तक किसान ट्रैक्टर का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में डीजल के रेट में हुई बढ़ोतरी किसानों के सामने पहले से ही बड़ी समस्या बनी हुई है।

Share
Related Articles
Breaking Newsदिल्लीराज्‍य

नेपाल फेस्टिवल इंडिया 2025: भारत-नेपाल व्यापार, पर्यटन एवं संस्कृति का भव्य उत्सव सफलतापूर्वक संपन्न

आयोजक: एवेरेस्ट चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज सह-आयोजक: नेपाल राजदूतावास, नई दिल्ली...