कानपुर। बर्रा थाने के हिस्ट्रीशीटर एक लाख के इनामी अजय ठाकुर को डीसीपी दक्षिण की स्वाट टीम ने दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। डीसीपी रवीन्द्र कुमार खुद उसे लेकर शहर लौट रहे हैं। अजय 28 जनवरी को अपना दल की रैली में मारपीट-पथराव करने के बाद से फरार था। उसकी तलाश में पुलिस टीम कुछ दिन पहले अटारी बार्डर तक पहुंच गई थी लेकिन अजय वहां से निकल गया था।
जरौली फेस-वन निवासी अजय ठाकुर का आपराधिक इतिहास दिन पर दिन बढ़ता जा रहा था। वर्ष 2016 में उसके खिलाफ बर्रा थाने में पहला मुकदमा युवक संग मारपीट कर रुपये मांगने व धमकाने का दर्ज हुआ था। इसके बाद उसी वर्ष अजय पर मारपीट, आर्म्स एक्ट, रंगदारी की धाराओं में पांच मुकदमे दर्ज हुए।
जमानत के बाद बना लिया अलग गिरोह
जमानत पर आने के बाद वह सुधरा नहीं बल्कि उसने अपना अलग गिरोह बना लिया, जिनके जरिये वह नाबालिग छात्रों से वसूली करवाता और साथियों के जरिये नाबालिग छात्राओं व युवतियों को झांसे में लेकर उसने रुपये ऐंठता था। लगातार उसके खिलाफ अलग-अलग थानों में शिकायतें आती रहीं लेकिन न उसकी वसूली कम हो रही थी और न ही वर्चस्व।
इसकी वजह से उस पर मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। वर्ष 2016 से 31 जनवरी 2024 तक अजय ठाकुर पर बर्रा, गोविंद नगर, किदवई नगर, नौबस्ता थाने में दुष्कर्म, हत्या का प्रयास, गैंगस्टर, बलवा, आइटी एक्ट, आपराधिक षड्यंत्र रचने समेत धाराओं में 26 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।
मारपीट के एक मामले में अजय बीते माह ही जेल से जमानत पर छूटा था। इसके बाद 28 जनवरी को वर्चस्व कायम रखने के लिए साथियों के साथ मिलकर जरौली में अपना दल एस के कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों पर पथराव, तोड़फोड़ व जानलेवा हमला किया था। तब उसके खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज हुआ और वह फरार हो गया था।
मोबाइल बंद करके करता था इंटरनेट काल
अजय अपना मोबाइल फोन बंद कर अन्य मोबाइल से इंटरनेट कॉल करता था। कभी वह मैसेंजर काल तो कभी वाट्सएप कॉल कर अपने कुछ करीबियों व परिचितों से संपर्क कर पुलिस की हर गतिविधियों की जानकारी लेता था।
प्रभावशाली के मदद से खुद को पकड़वाया या पुलिस ने किया गिरफ्तार
सूत्रों के अनुसार अजय कुछ सफेदपोश व प्रभावशाली लोगों के संपर्क में भी था। वह उनके माध्यम से उसे गोली न मारने व आत्मसमर्पण कराने के लिए पुलिस अधिकारियों पर दबाव बनवा रहा था। कुछ प्रभावशाली ने अधिकारी से यह शर्त भी रखी थी कि अगर वे अजय को गोली नहीं मारेंगे तो उसे उसे पकड़वा देंगे।
इसके बाद डीसीपी दक्षिण की स्वाट टीम ने उसे बुधवार को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। हालांकि उसकी तलाश में एसटीएफ, क्राइम ब्रांच भी लगी होने की जानकारी मिली थी लेकिन अजय ठाकुर उनके हाथ नहीं लग सका।
सीडब्ल्यूसी से बोली पीड़िता, हमें विधिक और आर्थिक सहायता चाहिए
बर्रा क्षेत्र में किशोरी का नहाते हुए वीडियो प्रसारित करने और रुपये मांगने के मामले में भी एक लाख के इनामी अजय ठाकुर, उसके साथी अंशू सिंह सेंगर, अभय भदौरिया समेत आरोपितों के खिलाफ 30 जनवरी को पाक्सो में मुकदमा दर्ज हुआ था। पीड़िता के भाई ने पूर्व विवेचक एसआइ रवीन्द्र कुमार पर गंभीर आरोप लगाए। आरोप है कि विवेचक से कई बार कहने पर वह बयान नहीं दर्ज करा रही थी। बहाने के लिए वह जन्म प्रमाण पत्र मांग रही थी।
स्कूल से निकलवाने का काफी प्रयास किया था। इस पर विवेचक बहन को बालिग बताते रहे। उन्हें जन्म प्रमाण पत्र दिया। उसके बाद भी बहन का उम्र परीक्षण करा 18 वर्ष उम्र दर्शायी थी, जिससे अजय ठाकुर और उसके साथियों पर हल्की धाराएं चार्जशीट में लग जाएं। वहीं, पूर्व विवेचक रवीन्द्र कुमार ने बताया कि पीड़िता व उसके भाई खुद ही जन्मप्रमाण पत्र नहीं दे रहे थे। तब विवेचना बढ़ाने के लिए उम्र परीक्षण कराया था। बाद में उसने अस्पताल का जन्म प्रमाण पत्र दिया था।
…तो क्या स्कूल में नहीं लगा था प्रमाण पत्र
बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के अध्यक्ष के डा. निर्मल कुमार पांडेय ने बताया कि पुलिस पीड़िता को मंगलवार को बयान दर्ज कराने आई थी। उसने आरोपितों की हाई कोर्ट से जमानत न होने के लिए विधिक और आर्थिक सहायता मांगी है। वहीं उसका जन्म प्रमाण पत्र अस्पताल का मिला है। इससे एक दिन पहले पुलिस उसके स्कूल का आइ कार्ड व छठवीं कक्षा की डायरी लेकर आई थी। साथ ही एक पत्र स्कूल का था, जिसमें बताया गया कि किशोरी का जन्म प्रमाण पत्र उसके स्वजन ने जमा ही नहीं किया है।