नई दिल्ली। अल्ज़ाइमर दिमाग से जुड़ी एक बीमारी है, जिसके बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्ज़ाइमर दिवस मनाया जाता है। अल्ज़ाइमर सबसे आम तरह का डिमेंशिया है। अल्ज़ाइमर का सबसे आम लक्षण है याददाश्त का कमज़ोर होना और रोज़मर्रा की बातचीत में शब्दों का न याद आना। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, वैसे-वैसे यह लक्षण और गंभीर होते चले जाते हैं।
क्या पुरुषों की तुलना महिलाएं ज़्यादा होती हैं इसका शिकार?
मुंबई के ग्लोबल अस्पताल परेल में न्यूरोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार, डॉ. पंकज अग्रवाल ने बताया कि अल्ज़ाइमर बीमारी महिलाओं को ज़्यादा प्रभावित करती है। इसके पीछे कई संभावित वैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय स्पष्टीकरण हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अल्ज़ाइमर स क्यों जूझना पड़ता है।
महिलाओं में अल्ज़ाइमर की संभावना ज़्यादा होने के क्या कारण हैं?
मुंबई के मासीना अस्पताल में सलाहकार न्यूरोलॉजिस्ट, डॉ. आशीष गोसर ने बताया कि अल्ज़ाइमर से पीड़ित रोगियों में लगभग 2/3 महिलाएं होती हैं। महिलाओं के अधिक प्रभावित होने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक जीती हैं और अल्ज़ाइमर में सबसे बड़ा जोखिम कारक उम्र है। आप जितना अधिक जिएंगे अल्ज़ाइमर रोग विकसित होने की संभावना उतनी ही अधिक हो जाएगी।
दूसरा कारण यह हो सकता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऑटोइम्यून बीमारी होने की संभावना दोगुनी हो जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि महिलाओं का इम्यून सिस्टम पुरुषों से ज़्यादा मज़बूत होता है, ताकि गर्भ में बच्चे को संक्रमण से बचाया जा सके। इसी वजह से उनमें पुरुषों की तुलना अधिक असामान्य अमाइलॉइड प्लाक भी हो सकते हैं।
तीसरा संभावित कारण लगातार हो रहे हार्मोनल परिवर्तन हो सकते हैं, जिनका सामना महिलाएं अपने जीवनकाल में करती हैं। इस वजह से भी महिलाओं में अल्ज़ाइमर की संभावना बढ़ सकती है।
अल्ज़ाइमर से कैसे बचा जा सकता है?
डॉ. पंकज अग्रवाल का कहना है, “उम्र और जेनेटिक्स अल्ज़ाइमर के ख़तरे को बढ़ाते हैं, जिन्हें बदला भी नहीं जा सकता। हालांकि, इनके अलावा हाई ब्लड प्रेशर और एक्टिविटी की कमी, भी इस बीमारी के जोखिम को बढ़ाने का काम करते हैं। इसलिए रोज़ाना एक्सरसाइज़ ज़रूर करें, शरीर को एक्टिव रखें, जिससे रक्त का फ्लो और दिमाग तक ऑक्सीजन बेहतर तरीके से पहुंच सके। जो दिमाग की कोशिकाओं को फायदा पहुंचाता है।”