गुवाहाटी। असम सरकार ने बहुविवाह को समाप्त करने के लिए कानून बनाने के लिए राज्य विधानमंडल की विधायी क्षमता की जांच के लिए चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने गुरुवार रात एक ट्वीट में बताया कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रूमी फूकन की अध्यक्षता वाले पैनल को दो महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।
समिति के अन्य सदस्य असम के महाधिवक्ता देबजीत सैकिया, अतिरिक्त महाधिवक्ता नलिन कोहली और वरिष्ठ अधिवक्ता नेकिबुर जमान हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुविवाह समाप्त करने के लिए एक कानून बनाने के लिए राज्य विधानमंडल की विधायी क्षमता की जांच करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने की मेरी घोषणा के बाद, राज्य सरकार ने आज समिति का गठन किया है। समिति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 60 दिनों की समय सीमा दी गई है।
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सरमा ने मंगलवार को घोषणा की थी कि राज्य सरकार विधानसभा द्वारा राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने की वैधता की जांच करने के लिए कानूनी विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति का गठन करेगी।
उन्होंने यह भी कहा था कि प्रस्तावित पैनल एक समान नागरिक संहिता के लिए राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 25 के साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 के प्रावधानों की जांच करेगा।
अनुच्छेद 25 भारत के नागरिकों को अंत:करण की और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है।
सरमा ने 9 मई को अपनी सरकार के दो साल पूरे होने के अवसर पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि हम समान नागरिक संहिता (UCC) की ओर नहीं जा रहे हैं जिसके लिए एक राष्ट्रीय आम सहमति की आवश्यकता होगी और केंद्र सरकार इस संबंध में पहल करेगी।
उन्होंने कहा कि UCC एक बहुत व्यापक पहलू है और असम में, हम UCC के एक घटक के रूप में राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के अपने इरादे की घोषणा कर रहे हैं।